Move to Jagran APP

अब कंपीटिशन बैक्टीरिया से नहीं , वायरस से है

जगराओं कोरोना काल में खानपान की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 02:15 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 03:34 AM (IST)
अब कंपीटिशन बैक्टीरिया से नहीं , वायरस से है
अब कंपीटिशन बैक्टीरिया से नहीं , वायरस से है

बिदु उप्पल, जगराओं : कोरोना काल में खानपान की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। अब तक हम सब्जी लाते थे, तो उसे सामान्य तरीके से ही धोकर इस्तेमाल कर लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। भविष्य में भी इसके प्रति और सजगता बढ़ेगी। यह कहना है पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के फूड प्रोसेसिग विभाग के प्रमुख व प्रोफेसर डॉ. महेश कुमार शर्मा का। दैनिक जागरण से बातचीत में डॉ. महेश ने कहा कि कोरोना काल के बाद भोजन की सुरक्षा को लेकर कंपीटिशन बढ़ गए हैं । पहले भोजन सुरक्षा में कंपीटिशन कीड़े-मकोड़ों व बैक्टीरिया से होता था, लेकिन अब यह वायरस से भी हो गया है। इसके लिए हमें भोजन सुरक्षा को पक्का करने के लिए डिसइंफेक्शन करना बेहद जरूरी हो गया है। कोरोना महामारी ने अब लोगों को घर में लाने वाली सब्जियों व फलों की सुरक्षा को लेकर सोच में डाला है, क्योंकि बाजार में बिकने वाली सब्जियों, फल बैक्टीरिया व वायरस से संक्रमित होगें। ऐसे लोगों की इस दुविधा को बाहर निकालने में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्व्रेस्ट इंजीनियरिग एंड टेक्नोलॉजी सीफेट के वैज्ञानिकों ने ओजोन नामक एक नया पोर्टेबल सिस्टम विकसित किया है। सीफेट के डायरेक्टर डॉ. रणजीत सिंह बताया कि इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से घरों, होटलों, छोटे प्रोसेसिग यूनिटों में आसानी से कर के फलों, सब्जियों, मीट आदि उत्पादों को कुछ मिनटों में कीटाणु मुक्त किया जा सकता है जोकि मौजूदा समय में फायदेमंद है। बाजार में इसकी कीमत करीब 3700 रुपये है।

loksabha election banner

जल्द आएगी यूवी लाइट लैंप वैज्ञानिक डॉ. शर्मा ने बताया कि पहले अल्ट्रावायरलेट यूवी केवल पानी को शुद्ध करती थी। अब वही यूवी रेडिएशस जिस-जिस चीज की सतह पर पड़ती है, उस सतह को डीस-इंफेक्शन कर देती है। मोटी चीजों में यह सतह को ही डीस-इंफेक्शन करेगी। हम किसी भी चीज व खाद्य पदार्थ को छू सकते हैं। यह एक नई चीज आने वाली है, जो सतह से हर बैक्टीरिया वायरस को खत्म कर या मार देती है।

इसलिए खराब होते हैं आम व करेले हर प्रकार के बैक्टीरिया को मारने के लिए अलग-अलग तापमान होता है। दूध की पॉस्चयूराइजेशन 72 डिग्री तक 15 सकेंड तक रखी जाती है, जिससे पैकेट वाला दूध एक सप्ताह तक खराब नहीं होता है। कई चीजों पर तापमान का प्रभाव अधिक होता है, जो चीजें व खाद्यपदार्थ सर्दियों में विकसित होते हैं, उनको ठंड में ही रखा जाता है। गर्मी में पैदा होने वाली चीजें 13 डिग्री के तापमान के नीचे नहीं रखनी है चाहिए। जैसे आम खीरा,अदरक, करेले व टींडे। यह सभी गर्मियों के खाद्य पदार्थ हैं, इसलिए यह जल्द खराब हो जाते है।

आजकल स्मार्ट पैकिंग का है चलन आजकल प्लास्टिक पेपर व एल्यूमीनियम का प्रयोग पैकिग के लिए होता है, जोकि नमी व ऑक्सीजन में बाधित होते हैं। इससे पैकेड फूड की लाइफ बढ़ जाती है। पैकेट की मोटाई 25 माइक्रोन से कम नही होनी चाहिए। आजकल तो स्मार्ट पैकिग का चलन है, जोकि पैकट पर अंदर रखी चीज के सभी न्यूट्रीशियन, प्रोटीन और सभी कंटेट साथ देते हैं कि यह चीज कितने समय तक खाने योग्य है और कितनी देर बाद किस कलर परिवर्तन से यह चीज खराब हो जाएगी। चिल्ली ट्रे में रखें नॉनवेज आजकल घरों में फ्रिज का अधिक प्रयोग होता है। हमें हर चीज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसके अंदर के तापमान व नमी का पूरा ध्यान रखना होता। नॉनवेज फूड को चिल्ली ट्रे में रखना चाहिए और शेष पके खाने को दूसरी सेल्फ में ड्राईफ्रूट तेल वाले जैसे बादाम व किशमिश को फ्रीजर में ट्राइट पैकिग में रखना चाहिए, ताकि उसमें नमी बिल्कुल न हो। पिसे व फलेवर मसालों को एयरटाइट फ्रीजर में रख सकते है, क्योंकि यदि इनको हीट लग गई, तो इनकी महक खत्म हो जाएगी। फ्रिज इंडस्ट्री को भी सभी सेंशनों का अलग-अलग तापमान इंडीकेशन देना चाहिए। चाकू व कटलरी को भी करें सैनिटाइज इनको धोने के समय बड़े बर्तन में दो बूंदें सोडियम हाइपोक्लोराइड डालकर चम्मचों, चाकू व कटलरी सहित अन्य बर्तनों को एक बार जरूर धो लेना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.