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पंजाब के उद्योगपतियों के लिए परेशानी बना मिनिमम वेज का नया फरमान

मिनिमम वेज के नए आदेशों में पिछला एरियर देने से इंडस्ट्री को करोड़ों रुपये का घाटा सहना पड़ेगा। मौजूदा हालातों को देखते हुए इंडस्ट्री इस बोझ को सहने में खुद असक्षम बता रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 09:19 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 09:19 PM (IST)
पंजाब के उद्योगपतियों के लिए परेशानी बना मिनिमम वेज का नया फरमान
पंजाब के उद्योगपतियों के लिए परेशानी बना मिनिमम वेज का नया फरमान

मुनीश शर्मा, लुधियाना : मिनिमम वेज के नए आदेशों में पिछला एरियर देने से इंडस्ट्री को करोड़ों रुपये का घाटा सहना पड़ेगा। मौजूदा हालातों को देखते हुए इंडस्ट्री इस बोझ को सहने में खुद असक्षम बता रही है। उद्योगपतियों का कहना है कि पहले ही कोविड सहित कई तरह की परेशानियों से इंडस्ट्री को दो-चार होना पड़ रहा है। ऐसे में अब मिनिमम वेज बढ़ने के साथ-साथ इसका एरियर देने के लिए कहा जा रहा है, जोकि इंडस्ट्री हित में नहीं है। इसको लेकर उद्योगपतियों द्वारा बकायदा एक पत्र मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भी भेजा गया है। फिको प्रधान गुरमीत सिंह कुलार ने कहा कि औद्योगिक नगरी लुधियाना की बात करें तो साइकिल और साइकिल के पुर्जे, टायर, होजरी के सामान, मशीन और मशीनरी के पुर्जे, रबड़ के सामान, आटो के पुर्जे, कृषि के पुर्जे के निर्माताओं ने चार से पांच लाख से अधिक कर्मचारियों को रोजगार दिया है। देश की अर्थव्यवस्था के निर्माण में मदद की है। वर्तमान में उद्योग कई कारणों से बाजार में भारी मंदी का सामना कर रहे है। जैसे की कोविड 19 वायरस का प्रकोप प्रमुख है। कोविड के कारण लुधियाना के उद्योगों के व्यवसाय को भारी झटका लगा और कई छोटे उद्योगों को अपनी इकाइयों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उद्योग इस वित्तीय बोझ को सहन नहीं कर पाएगा : सचदेवा

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यूसीपीएमए के महासचिव मनजिदर सिंह सचदेवा ने कहा कि हाल ही में सरकार द्वारा मजदूरी की न्यूनतम दरों में 415.89 रुपये की वृद्धि की घोषणा की है। इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी की बढ़ी हुई दर एक अप्रैल 2020 से लागू की गई है। यह उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है कि वर्तमान स्थिति में जब बाजार में भारी मंदी है और साइकिल और साइकिल के पुर्जे निर्माता अपने व्यवसायों को या तो दूसरे राज्यों में बदलने या खुद को अन्य व्यवसायों में संलग्न करने की सोच रहे हैं। फिर मार्च, 2020 से मजदूरी की न्यूनतम दरों में वृद्धि देना उचित नहीं होगा। वर्ष 2020 के दौरान पूरी दुनिया को कोविड 19 की महामारी का सामना करना पड़ा और बाजार की मंदी ने उद्योग की रीढ तोड़ दी है। फिर मार्च, 2020 से बढ़ी हुई दरों पर कर्मचारियों के बकाया का भुगतान करना उचित नहीं होगा। मार्च, 2020 से मजदूरी की न्यूनतम दरों में वृद्धि न करें, क्योंकि उद्योग इस वित्तीय बोझ को सहन नहीं कर पाएगा।


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