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लुधियाना में सिस्टम को शर्मिंदा कर दुनिया छोड़ गई नवजात, मां व दूसरे बच्चे की हालत भी गंभीर

लुधियाना में दो दिन पहले दुनिया में आई बच्ची की रेफर-रेफर के खेल ने जान ले ली। सिविल अस्पताल के पार्क में जुड़वा बेटा-बेटी को जन्म देने वाली उमा देवी की हालत भी सिविल अस्पताल में गंभीर है।

By Rohit KumarEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 07:07 AM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 10:01 AM (IST)
लुधियाना में सिस्टम को शर्मिंदा कर दुनिया छोड़ गई नवजात, मां व दूसरे बच्चे की हालत भी गंभीर
सिविल अस्पताल के पार्क में बेटा-बेटी को जन्म देने वाली उमा देवी की हालत भी सिविल अस्पताल में गंभीर है।

लुधियाना, जेएनएन। सरकारी अस्पतालों की बदइंतजामी, मुलाजिमों लापरवाही और संवेदनहीनता को नवजात की मौत ने शनिवार को फिर उजागर कर दिया। सिस्टम को शर्मिंदा कर नवजात दुनिया छोड़ कर चली गई। सबके सामने एक सवाल छोड़ गई क्या मदर एंड चाइल्ड विभाग के लेबर रूम का लापरवाह स्टाफ, नर्सें और डाक्टर उसकी मौत की जिम्मेदार तो नहीं? दो दिन पहले दुनिया में आई बच्ची की रेफर-रेफर के खेल ने जान ले ली। सिविल अस्पताल के पार्क में जुड़वा बेटा-बेटी को जन्म देने वाली उमा देवी की हालत भी सिविल अस्पताल में गंभीर है। सीएमसी में भर्ती दूसरे नवजात की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है।

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शनिवार को मजबूर मां अस्पताल में भर्ती थी और बेबस पिता नवजात को दफना रहा था। सिविल अस्पताल के बाहर पार्क में वीरवार को धूरी लाइन के पास रहने वाली उमा देवी ने जुड़वा बेटा-बेटी को जन्म दे दिया। वह साढ़े छह महीने की गर्भवती थी। प्री मैच्योर केस होने के बावजूद लेबर रूम का स्टाफ बुलाने पर भी उसकी सुध लेने नहीं आया था। डिलीवरी भी पार्क में बैठी महिलाओं ने चारों ओर से पर्दा कर करवाई थी।

सेहत विभाग के सिस्टम को शर्मसार करने वाली इस घटना के बाद शाम को नाजुक हालत में दोनों नवजात को पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया। दवाइयों के लिए पैसे नहीं होने पर पिता दोनों नवजात बच्चों को गोद में उठाकर बस से शुक्रवार शाम को लुधियाना वापस आ गया। दोनों नवजात की तबीयत बिगड़ने की बात कहकर सिविल अस्पताल से उन्हें सीएमसी अस्पताल रेफर कर दिया गया। शनिवार को जुड़वा नवजात में से बच्ची ने दम तोड़ दिया।

950 ग्राम है नवजात का वजन :

डाक्टरों का कहना है कि प्री मैच्योर डिलीवरी के कारण बच्चों का वजन मात्र 950 ग्राम था। इसलिए उनकी तबीयत बिगड़ी थी। वही जानकारों का कहना है कि इससे पहले शहर के निजी अस्पतालों में सात से साढ़े सात सौ ग्राम के बच्चों को भी बचाया जा चुका है।

दो-तीन दिनों में आएगी रिपोर्ट :

पार्क में प्री मैच्योर डिलीवरी मामले की जांच रिपोर्ट दो से तीन दिन में आएगी। एसएमओ अमरजीत कौर का कहना है कि दो डाक्टरों की टीम सभी पहलुओं की गहनता से जांच कर रही है। लापरवाही बरतने वालों पर निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी।


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