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लुधियाना दक्षिण : न स्तरीय सड़कें और न ही सीवरेज-पानी की सुविधा

वर्ष 2012 में लुधियाना देहाती से दक्षिण में तब्दील हुए विधानसभा क्षेत्र मजदूर बहुल इलाका है लेकिन आज तक यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 11:58 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 11:58 PM (IST)
लुधियाना दक्षिण : न स्तरीय सड़कें और न ही सीवरेज-पानी की सुविधा
लुधियाना दक्षिण : न स्तरीय सड़कें और न ही सीवरेज-पानी की सुविधा

भूपेंदर सिंह भाटिया, लुधियाना : वर्ष 2012 में लुधियाना देहाती से दक्षिण में तब्दील हुए विधानसभा क्षेत्र मजदूर बहुल इलाका है, लेकिन आज तक यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। इस क्षेत्र में न तो स्तरीय सड़कें हैं और न ही सीवरेज व पानी की सुविधा। हालात यह है कि कई इलाकों में सीवरेज का पानी सड़कों पर जमा रहता है और लोग उसी के बीच अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं। ग्यासपुरा के अलावा शेरपुर में सीवरेज की समस्या हमेशा से रही है, लेकिन यहां के लोगों को कोई सुविधा नहीं मिली। पिछले दस साल से यहां लोक इंसाफ पार्टी के बलविदर बैंस विजयी रहे हैं, लेकिन निगम में सत्ताधारी न होने के कारण यह क्षेत्र हमेशा से विकास से अछूता रहा। इतना ही नहीं, ग्यासपुरा रेलवे फाटक हमेशा से लोगों की परेशानी रहा है। घंटों बंद रहने वाले इस फाटक से लोग नियमों को तोड़ गुजरते हैं और अक्सर दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं।

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2012 में फिर से इस क्षेत्र में लोक इंसाफ पार्टी विजयी रही, लेकिन इस बार यहां समीकरण बदले-बदले से हैं। इस बार अभी तक कांग्रेस और भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन शिरोमणि अकाली दल ने जहां एक बार फिर पूर्व मंत्री हीरा सिंह गाबड़िया को मैदान में उतारा है, वहीं आम आदमी पार्टी ने पहली बार राजविदर कौर छीना को उम्मीदवार बनाया है। वर्तमान विधायक बलविदर सिंह बैंस जहां अपना पुराना आधार फिर मजबूत करने में जुटे हैं, वहीं लोग कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के भूपिदर सिंह सिद्धू दूसरे और शिअद के हीरा सिंह गाबड़िया तीसरे स्थान पर रहे थे। हालांकि इस बार अभी तक आप का कोई बड़ा नेता रैली करने नहीं पहुंचा है, जबकि शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल दो बार रैली कर पूर्वांचल वोट बैंक को अपनी ओर करने की कोशिश कर चुके हैं। इस इलाके की खास बात यह है कि इस क्षेत्र में लगभग 62 फीसद वोट पूर्वांचल समाज के हैं, जिस पर हमेशा राजनीतिक दलों की नजर रहती है।

उधर, लोगों का कहना है कि चुनाव के समय सभी पार्टियों के नेता यहां आकर आश्वासन देते हैं, लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद कोई सुध तक लेने नहीं आता। वर्करों के साथ रणनीति बनाने में जुटे प्रत्याशी

चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक नुक्कड़ सभाओं और रैलियों पर रोक लगाई है। ऐसे में उम्मीदवार पार्टी वर्करों के साथ चुनावी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं। शीर्ष उम्मीदवार इलाके में अलग-अलग स्थानों पर छोटी-छोटी बैठकें कर कार्यकर्ताओं को उत्साहित कर रहे हैं। साथ ही वह डोर-टू-डोर लोगों से मिल रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जा सकें।


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