लुधियाना की जामा मस्जिद पहुंचे किसान नेता बलबीर राजेवाल, मुस्लिम समुदाय ने पुष्पवर्षा कर किया स्वागत
बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान आंदोलन में सभी का साथ ही कानूनों की वापसी की वजह बना। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि सरकारों ने इस आंदोलन को बार-बार धर्म का रंग देकर नाकाम करने की कोशिश की थी।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल शनिवार काे जामा मस्जिद पहुंचे। यहां शाही इमाम पंजाब मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी की अगुआई में मुसलमानों ने फूलों की वर्षा और जय जवान, जय किसान के नारों से स्वागत किया। शाही इमाम ने कहा कि किसान आंदोलन में पहले दिन से ही मरहूम शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज उठाई और पंजाब के सभी मुसलमान इस आंदोलन में शामिल हुए। उन्होने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से कानूनों की वापसी सर्व धर्म एकता की जीत है इसे रहती दुनिया तक याद रखा जाएगा।
शाही इमाम ने कहा कि देश में जो भी लोग धर्म के नाम पर समाज को बांटना चाहते है उनको कभी कामयाब नही होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम आज बलबीर सिंह राजेवाल का सम्मान इसलिए भी कर रहे हैं कि पंजाब के इस सपूत ने अपनी लगन, मेहनत और दृढता से मोर्चे में मुख्य भूमिका निभाई है। इस अवसर पर जामा मस्जिद प्रबंधकों की ओर से राजेवाल को सम्मानित भी किया गया।
बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान आंदोलन में सभी का साथ ही कानूनों की वापसी की वजह बना। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि सरकारों ने इस आंदोलन को बार-बार धर्म का रंग देकर नाकाम करने की कोशिश की थी लेकिन सबके साथ ने साजिशों को नाकाम बना दिया। राजेवाल ने कहा कि विशेष कर पंजाब भर से जब किसान दिल्ली मोर्चे पर गए तो सभी गांवों में रह रहे मुस्लिम भाई भी आंदोलन में साथ रहे। उन्होने कहा कि सभी लोग याद रखें कि हमने किसान आंदोलन को स्थगित किया है रद नहीं किया जब भी जरूरत महसूस हुई तो दोबारा मोर्चा लगाया जाएगा।
राजेवाल ने दिवंगत मौलाना हबीब उर रहमान को श्रद्धांजलि अर्पित की
लुधियाना जामा मस्जिद पहुंचे किसान नेता सरदार बलबीर सिंह राजेवाल ने सबसे पहले दिवंगत पूर्व शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी की कब्र पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी परिवार के वारिस मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी ने किसान आंदोलन में जो योगदान दिया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि मरहूम शाही इमाम जी ने केंद्र सरकार के जबर की परवाह ना करते हुए किसान आंदोलन का साथ दिया था उनका अचानक देहांत सिर्फ पंजाब के मुस्लिमों के लिए ही नहीं हम सब के लिए दुख की बात है।
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