मोगा की सड़कों पर दौड़ेगा महिलाओं का आत्मविश्वास, जरूरतमंद चार महिलाओं को विधायक हरजोत ने सौंपी चार ई-रिक्शा की चाबियां
माई मोगा वेलफेयर सोसायटी ने शहर की चार जरूरतमंद महिलाओं को गुलाबी रंग के ई-रिक्शा सौंपे। ई-रिक्शा पाकर सुखबिंदर कौर के चेहरे पर आत्मविश्वास की झलक साफ दिख रही थी। अब वह अपनी तीनों बेटियों का सम्मान के साथ पालन कर सकेंगी।
मोगा [नेहा शर्मा]। शहर की सड़कों पर अब महिलाओं का आत्मविश्वास दौड़ेगा। जी हां, माई मोगा वेलफेयर सोसायटी ने वीरवार को शहर की चार जरूरतमंद महिलाओं को गुलाबी रंग के ई-रिक्शा सौंपे। ई-रिक्शा पाकर सुखबिंदर कौर के चेहरे पर आत्मविश्वास की झलक साफ दिख रही थी। अब वह अपनी तीनों बेटियों का सम्मान के साथ पालन कर सकेंगी, वह अब तक घरों में काम करके बेटियों का पाल रही थीं। बेटा है नहीं, पति कई सालों से साथ नहीं रह रहे हैं। घरों में काम करके पैसा तो मिलता था, लेकिन सम्मान नहीं। सुखबिंदर कौर ई- रिक्शा के साथ अब नए सिरे से अपनी जिंदगी को सम्मान के साथ गुजार सकेंगी।
एक साथ चार महिलाएं चलाएंगी ई रिक्शा
अकेली सुखबिंदर कौर ही नहीं बल्कि शहर की निवासी सीमा ढंड, निर्मला कुमारी और रणदीप कौर भी ई-रिक्शा दौड़ाती नजर आएंगी। देश का शायद ये पहला उदाहरण हो जब एक साथ चार महिलाएं शहर की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाती दिखेंगी। गुलाबी रंग महिलाओं के आत्मविश्वास का प्रतीक है, यही वजह है कि रिक्शे को गुलाबी रंग दिया गया है। वीरवार को नेहरू पार्क में हुए एक समारोह में विधायक डा. हरजोत कमल ने ये ई-रिक्शा महिलाओं को भेंट किए। माई मोगा वेलफेयर सोसायटी का गठन भी उनकी पत्नी डा. राजिंदर कौर ने किया था। शहर में पहले से संचालित कई समाजसेवी संस्थाओं से जुड़ी डा. वरिंदर कौर, मीना शर्मा, जस ढिल्लों, सरोज ग्रोवर, अनमोल शर्मा आदि इस मौके पर मौजूद थीं। जिस समय महिलाओं को ई-रिक्शे की चाबियां सौंपी जा रही थीं, उस समय अर्थशास्त्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों में अपने व्यवसाय को गुणवत्ता के आधार पर दुनिया में धाक जमाने वाली पी मार्का की चेयरपर्सन इंदु पुरी, बिजनेस वूमेन भावना बंसल व लवली सिंगला भी उपस्थित थीं।
समाजसेवी गगन गिल ने निभाई अहम भूमिका
संस्था की संस्थापिका डा.राजिंदर कौर का कहना है कि कोरोना काल के दौरान बहुत सी महिलाएं उनके पास मदद के लिए आई थीं। उनकी हालत देख उन्होंने किसी को सिलाई मशीन देने की पेशकश की, किसी को कुकिंग मशीन, लेकिन कोरोना काल में सब कुछ मंदा पड़ गया था। रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं दिख रहा था, फिर अन्य समाजसेवी महिलाओं के साथ विचार-विमर्श कर ई-रिक्शा महिलाओं को देने का फैसला लिया। इस योजना को अंजाम देने में गगन गिल नामक समाजसेवी ने अहम भूमिका निभाई। ई-रिक्शा पाने वाली रणदीप कौर की भी तीन बेटियां और एक बेटा है। पति फ्लेक्स बोर्ड बनाने का काम करते हैं। वहीं निर्मला ने तो उम्र को भी मात दी है। 57 साल की उम्र में दादी बनकर वे शहर में रिक्शा चलाकर परिवार का पालन करेंगी। निर्मला की विशेषता ये है कि दादी और नानी बनने के बाद भी वे किसी युवा से ज्यादा फुर्ती से काम करती हैं। सीमा ढंड का चेहर भी ई-रिक्शा मिलने पर खिला हुआ था।