मीडिया कर्मी हमारे लिए सिविल आर्मी और सजग प्रहरी
विश्व संवाद केंद्र चंडीगढ़ की तरफ से रविवार को सिविल लाइन स्थित माधव भवन में देश के विकास में पत्रकारों का योगदान विषय एक समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में आर्य कालेज की प्रिसिपल सूक्षम आहलुवालिया मुख्य मेहमान के तौर पर उपस्थित हुई। इस समारोह में मुख्य प्रवक्ता के तौर पर दैनिक जागरण पंजाब के स्थानीय संपादक अमित शर्मा और मोगा के डीपीआरओ प्रभदीप सिंह नथोवाल भी मौजूद रहे।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : विश्व संवाद केंद्र चंडीगढ़ की तरफ से रविवार को सिविल लाइन स्थित माधव भवन में 'देश के विकास में पत्रकारों का योगदान' विषय एक समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में आर्य कालेज की प्रिसिपल सूक्षम आहलुवालिया मुख्य मेहमान के तौर पर उपस्थित हुई। इस समारोह में मुख्य प्रवक्ता के तौर पर दैनिक जागरण पंजाब के स्थानीय संपादक अमित शर्मा और मोगा के डीपीआरओ प्रभदीप सिंह नथोवाल भी मौजूद रहे। समारोह की शुरुआत देवर्षि नारद की फोटो के समक्ष ज्योति प्रज्वलित करके की गई। इस मौके पर संघ पंजाब कार्यकारी सदस्य यश गिरी, कार्यवाह लुधियाना गौरव जिदल, विश्व संवाद से प्रदीप, यशदीप पुरी, बलविदर रवि, गुनीत खेड़ा सहित कई पत्रकार मौजूद थे।
प्रिसिपल सूक्षम आहलुवालिया ने संबोधन में कहा कि मीडिया कर्मियों को वह सिविल आर्मी मानती हैं। हमारी सेना चाहे देश की सीमा पर लड़ती है और एक पत्रकार सिविल ड्रेस में समाज में रहकर लड़ता है। वह हमेशा देश हित में काम करते हैं। इसलिए पत्रकार को समाज का ब्रांड अंबेसडर कहना भी अनुचित नहीं होगा। वह राष्ट्र के पहरी के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में कोई भी पालिसी लोकसभा या राज्यसभा में बनती है, लेकिन लोगों को वह पालिसी समझाने का काम तो मीडिया द्वारा ही किया जाता है। उन्होंने कहा कि हम अपने समाज में किसी भी तरह का बदलाव युवाओं के माध्यम से ही ला सकते हैं। इसलिए मीडिया व युवाओं का जुड़ना जरूरी है।
डीपीआरओ प्रभदीप सिंह ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देवर्षि नारद जंयती के उपलक्ष्य में समारोह आयोजित किया गया है। ये एक अच्छा प्रयास है। ऐसे प्लेटफार्म पर संवाद होना हमारे समाज व देश के लिए अच्छा है। इससे समाज और भी सुदृढ़ बनता है। ऐसे प्रयास आगे भी जारी रहने चाहिए।
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पत्रकारिता एक आइडिया, जो दूसरों की जिदगी बदलता है
समारोह के दौरान दैनिक जागरण पंजाब के स्थानीय संपादक अमित शर्मा ने कहा कि उनकी नजर में पत्रकारिता एक आइडिया है, जो किसी दूसरे की जिदंगी को बदलता है। एक व्यक्ति की जिदगी बदलने से उसका परिवार भी बदलता है और फिर समाज व राष्ट्र बदलता है। राष्ट्र और राष्ट्रवाद की परिभाषा हर किसी की नजर में अलग है। एक उदाहरण के तौर पर बीबीसी अगर किसी भी देश की न्यूज दिखाता है तो उसके हित के ध्यान रखता है। हमारे देश में एक अपवाद है। 1993 में मुंबई ब्लास्ट को भारत ने आतंकी हमला घोषित करवाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन यूएनओ ने इसे आतंकी हमला नहीं माना क्योंकि कुछ मीडिया ने इसे दो समुदाय के आपसी रंजिश के बाद हमला बताया। हमारे यहां पर विदेश की तुलना में काफी आजादी है, जबकि चीन व कई अन्य देशों में बहुत प्रतिबंध है। हमारे यहां इंटरनेट मीडिया के माध्यम से चाहे कितने भी अभद्र शब्दों का प्रयोग क्यों न कर दिया जाए, कोई पूछने वाला नहीं है।