Good News: अब एमडीआर TB मरीजों का टैबलेट से होगा इलाज, इंजेक्शन की अपेक्षा 13 फीसद ज्यादा असरदार; जानें याेजना
Good News एमडीआर टीबी के मरीजों को कैनामाइसन इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। एक मरीज को करीब 150 इंजेक्शन लगते थे। इंजेक्शन मसल्स में लगाना होता है। मरीज को चार से छह महीने तक रोज यह इंजेक्शन लगता है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। Good News: मल्टी ड्रग रजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी से जूझ रहे मरीजों को अब इंजेक्शन का दर्द नहीं झेलना होगा। एक गोली उन्हें अब बीमारी की गिरफ्त से बाहर निकालेगी। इलाज का यह नया पैट्रर्न जल्द ही पंजाब में लागू हो जाएगा। अब तक एमडीआर टीबी के मरीजों को कैनामाइसन इंजेक्शन लगाया जाता था। नौ से 11 महीने के इलाज के दौरान यह इंजेक्शन मसल्स में करीब चार से छह महीने तक लगाया जाता है। अब उन्हें बिडाक्वीन टेबलेट दी जाएगी।
सरकार की तरफ से ये टैबलेट सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही उपलब्ध करवाई जाएगी। बाजार में यह टैबलेट नहीं मिलेगी। इस नए तरीके से इलाज को लेकर सेहत विभाग ने सभी जिला टीबी अधिकारियों को प्रशिक्षण दे दिया है। उम्मीद है कि अक्टूबर से एमडीआर टीबी के मरीजों को यह इलाज मिलना शुरू हो जाएगा। लुधियाना के जिला टीबी अफसर डा. आशीष चावला का कहना है कि एमडीआर मरीज को टीबी की सामान्य दवाइयां असर नहीं करती हैं। उनके लिए अलग से दवा होती है जो काफी महंगी होती है।
पिछले कुछ साल से एमडीआर टीबी के मरीजों को कैनामाइसन इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। एक मरीज को करीब 150 इंजेक्शन लगते थे। इंजेक्शन मसल्स में लगाना होता है। मरीज को चार से छह महीने तक रोज यह इंजेक्शन लगता है। इस इंजेक्शन से मरीज को काफी तकलीफ भी ङोलनी पड़ती है। यह भी देखने को मिल रहा था कि इससे मरीज की सुनने की क्षमता और किडनी भी प्रभावित होती थी। अब इस टैबलेट से मरीजों को काफी आराम मिलेगा।
गर्भवतियों व बच्चों के लिए भी है सुरक्षित
डा. आशीष चावला का कहना है कि एमडीआर टीबी से जूझ रही गर्भवती महिला को यह इंजेक्शन नहीं लगा सकते थे। इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ता था। टैबलेट इंजेक्शन की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक प्रभावी है। गर्भवती व बच्चों के लिए भी सुरक्षित है। इस टैबलेट को बाकी दवाइयों के साथ रोज लेना है। छह महीने में मरीज को 188 टैबलेट दी जाएंगी। इलाज का यह तरीका देश के सात राज्यों में शुरू हो रहा है। इनमें पंजाब भी शामिल है। लुधियाना में एमडीआर टीबी के 250 मरीज हैं। हर महीने 15-20 नए मरीज मिलते हैं।