लुधियाना : ट्रैफिक जाम थी समस्या, इस शख्स ने वह कर दिखाया जो 71 साल में नहीं हुआ
ट्रैफिक सुधारने में राहुल वर्मा का मिशन 2010 से शुरु हुआ।
लुधियाना के कारोबारी राहुल वर्मा की पहचान अब ट्रैफिक एक्सपर्ट समाजसेवक की बन चुकी है। ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में राहुल न केवल आइडिया देते है बल्कि इसे लागू करने में सड़क पर घंटों गुजारते है। प्रीत पैलेस रोड पर लगने वाला भयंकर जाम हो या फिर जगरांव ब्रिज की समस्या। यह राहुल ही थे जिनकी योजना पर विभागों ने काम किया तो घंटों जाम में फंसने वाले लोग चंद मिनटों में गंतव्य तक पहुंचने लगे।
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राहुल ने वह कर दिखाया जो सरकार व प्रशासन पिछले 71 वर्षों से न कर पाया। ट्रैफिक पुलिस, नगर निगम, जिला प्रशासन व रेलवे सहित तमाम विभाग है जिसमें राहुल की भूमिका एक पुल की रहती है। शहर में अक्सर ऐसे हालात बनते है जिसमें इन विभागों के तालमेल का जरिया बनकर राहुल गंभीर समस्याओं का हल चंद घंटों में करवा देते हैं।
ट्रैफिक जाम में हुई मां की मौत, कारोबारी बन गया ट्रैफिक एक्सपर्ट
बकौल राहुल वर्मा, बात 2010 की है। पिता जी का फोन आया कि मां को हार्ट अटैक आ गया है। डीएमसी लेकर जा रहे है जल्द पहुंचों। तब मैं शिवपुरी में था। अस्पताल से दूरी थी पांच किलोमीटर। दस मिनट के रास्ते के लिए 45 मिनट लग गए। इस दौरान फोन आया कि मां नहीं रही। उन्हें भी जाम की वजह से अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। दिमाग में लगातार विचार कौंधता रहा कि अगर जाम न मिलता तो मां बच सकती थी। मैंने ठान लिया कि ट्रैफिक को सुधारना है। चाहे अकेला ही चलना पड़े। अब कुछ करना पड़ेगा ही।
आत्म पार्क रोड के ब्लैक स्पाट पर हर साल वाहन से कुचल जाते थे आठ लोग
ट्रैफिक सुधारने में राहुल वर्मा का मिशन 2010 से शुरु हुआ। पहला प्रोजेक्ट था आत्म पार्क रोड का ब्लैक स्पाट बंद करवाना व प्रीत पैलेस रोड पर लगने वाले भयंकर जाम से लोगों कोमुक्ति करवाना। प्रोजेक्ट बनाया, निगम कमिश्नर के पास पहुंच गए। उन्होंने एडिशनल कमिश्नर केपी बराड़ के पास भेज दिया। प्रोजेक्ट के तहत आत्म नगर कट को बंद करना था। पिछले कई वर्षो से इस ब्लैक स्पाट पर हर वर्ष आठ लोग वाहनों से कुचलकर मर जाते थे। राजनीतिक विरोध शुरु हो गया। धरने प्रदर्शन होने लगे तो लोगों को समझाया कि अगर ठीक न लगे तो कट फिर खोल देंगे। आत्म पार्क से दुगरी की और जाने वाला कट बंद करके ट्रैफिक को पुल के नीचे से निकालकर क्रास करवाया गया। वहीं प्रीत पैलेस रोड के चार कट बंद करके ट्रैफिक को बिना किसी बाधा के पुल पर चढ़ाया गया। मॉडल टाउन की और से आने वाले ट्रैफिक को बस स्टैंड पुल के नीचे से निकालकर लिंक रोड पर भेजा गया। इसके बाद कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ व जाम से भी छुटकारा मिल गया।
जगरांव पुल का ट्रैफिक पुल से नीचे निकाला और जाम से मिली निजात
सिटी का सेंटर प्वाइंट जगरांव ब्रिज। शहर के पुराने इलाके को नए बसे क्षेत्र से जोड़ने वाले जगरांव ब्रिज पर दिन भर जाम की स्थिति ही बनी रहती थी। राहुल वर्मा ने प्रशासन को आइडिया दिया कि अगर भारत नगर चौक से आने वाले ट्रैफिक को रेलवे स्टेशन वाली साइड से निकाल दिया जाए व जालंधर से आने वाले ट्रैफिक को गुरुद्वारा दुखनिवारण के पास से पुल के नीचे से गुजारते हुए भारत नगर चौक की तरफ भेज दिया जाए तो जाम से मुक्ति मिल सकती है। इसके लिए उन्होंने बाकायदा मैप बनवाकर ट्रैफिक पुलिस को दिया। कुछ अधिकारियों को इस योजना पर संशय था तो इसे ट्रायल के तौर पर लिया गया। कामयाबी मिली तो इसे स्थाई तौर पर लागू कर दिया गया। जगरांव ब्रिज पर जाम से लोगो को राहत मिल गई।
कटने से बचाए 450 पेड़
फिरोजपुर रोड से समराला चौक तक बनने वाले एलिवेटिड पुल के निर्माण में 1963 पेड़ों को काटने की मंजूरी संबधित विभागों ने दे दी। राहुल को इसकी जानकारी मिली तो पेड़ों को बचाने का प्रयास शुरु हो गया। साथी एनजीओ की मदद से मैप तैयार हुआ। जिसमें डिजलाइन में हलका सा बदलाव करने से ही 450 पेड़ बचाए जा सकते थे। योजना डिप्टी कमिश्नर तक पहुंची। उन्होंने एनएचआई अधिकारियों के साथ मीटिंग फिक्स करवाई। यहां भी कामयाबी मिली व 450 पेड़ कटने से बच गए।
लोगों ने पिता से कहा, अपने बेटे का करवाइए इलाज
राहुल बताते है कि शुरुआती दौर में काम इतना आसान नहीं था। लोग मजाक उड़ा रहे थे सरकारी अधिकारी उनकी मंशा पर शक करते हुए सहयोग नहीं कर रहे थे। जान पहचान के लोग पिता जी को कहने लगे कि मां की मौत का सदमा राहुल को लगा है वह सड़कों पर घंटों खड़ा रहता है। आप उसका इलाज क्यों नहीं करवाते। कुछ ऐसा ही व्यवहार सरकारी विभागों में उन्हें मिल रहा था। जब पहली बार योजना के लिए एसीपी ट्रैफिक के पास पहुंचे तो उन्होंने पूछा कि फोटो ही खिंचवानी है या फिर कुछ करना है। कुछ समय बाद सवाल था कि कही राजनीति ज्वाइन करने का विचार तो नहीं। लेकिन अब माहौल बदल चुका है। ट्रैफिक संबधी समस्या पर प्रशासन, निगम, रेलवे खुद ही बुलवा लेते है।
दिन में एक घंटा ट्रैफिक जाम में फंस कर निकलता था, अब गाड़ी सरपट भागती है
घर से फैक्ट्री जाने के लिए प्रीत पैलेस रोड के जाम में फंसना ही पड़ता था। दिन में दो तीन चक्कर लगे तो एक दिन में एक घंटा तो ट्रैफिक में ही बीत जाता था। राहुल वर्मा के प्रयास से आत्म पार्क के सामने बनी क्रासिंग बंद हो गई। प्रीत पैलेस रोड के चार कट बंद कर दिए गए। तब से इस रोड पर जाम बीते समय की बात हो गई है। कट बंद हुए 9 साल हो चुके हैं। अब तो यहां ट्रैफिक भी बहुत बढ़ चुका है। अगर आज वैसी ही स्थिति होती तो हालात बदतर होते।