अपने हालात पर खुद आंसू बहा रहा लुधियाना शहर
पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना के खजाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले फोकल प्वाइंट इलाके की सड़कों की हालत ऐसी है कि वहां के बाबत कहा जाता है कि यहां सड़कों में गड्ढे नहीं हैं, बल्कि गड्ढों में सड़कें हैं।
चालीस लाख की आबादी को समेटे पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना। इन दिनों हर क्षेत्र में रेंग ही रही है। ट्रैफिक हो या व्यापार गति थम सी गई है। प्रदूषण रैकिंग में विश्व के 12वें सबसे प्रदूषित सिटी के 850 पार्कों की देखभाल करने के लिए बागबानी विभाग में एक भी एक्सईएन या एसडीओ स्तर का अधिकारी तक नहीं है।
95 वार्डों में बंटे लुधियाना सिटी के बाशिंदों के लिए मात्र 5200 सफाई कर्मचारियों की व्यवस्था है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर 120 सिटी बसों में से मात्र 83 ही चल रही हैं। वॉटर सप्लाई के लिए 808 टयूबवेल है, जिनमें से अधिकतर खराब ही रहते हैं।
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शहर की सड़कों पर दौड़ रहे 16 लाख वाहनों को कंट्रोल करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के सिर्फ 250 कर्मचारी तैनात है, चरमराई ट्रैफिक व्यवस्था के शहर की लाइफ लाइन जगरांव पुल मियाद पूरी होने के चलते बंद है तो इंडस्ट्रियल एरिया से सिटी को जोड़ने वाला गिल चौक फ्लाईओवर दो स्लैब गिरने के चलते पिछले अढाई महीने से बंद पड़ा है। रही सही कसर फिरोजपुर रोड से समराला चौक तक बन रहे एलिवेटिड रोड की वजह से लग रहे लंबे ट्रैफिक जाम ने पूरी कर दी।
बेहतर कारगुजारी में नगर निगम पिछड़ा
लुधियाना सिटी के अंतर्गत आते नगर निगम के 75 वार्ड बढ़ाकर इस बार 95 कर दिए गए। सुविधाओं की बात करें तो दिवालिया हो चुके नगर निगम के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के लिए पैसे नहीं है तो वह विकास की बात सिर्फ दस्तावेजों में ही कर रहा है।
पार्कों की देखभाल के लिए कार्यरत बागबानी विभाग के पास एक भी एक्सईएन या एसडीओ ने नहीं की है। सफाई कर्मचारियों की संख्या 5200 बताई जा रही है, लेकिन शहर में सफाई व्यवस्था को देखकर इन पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
सीवरमैन चला रहा है मेयर की गाड़ी
जरा सी बरसात में जल थल हो रहे शहर के सीवरेज की सफाई के लिए 1693 सीवरमैन तैनात हैं, लेकिन इसकी पोल तब खुली जब मेयर बलकार सिंह संधू ने सीवरमैन की फीजिकल वेरिफिकेशन के लिए तलब कर लिया। इस दौरान खुलासा हुआ कि मेयर के ड्राइवर की तैनाती भी सीवरमैन के तौर पर है। अधिकतर सीवरमैन सीवरेज की सफाई की बजाए दूसरे कार्यों में लगाए गए हैं।
80 सिटी बस में से सिर्फ 43 ही चल रहीं
पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर लुधियाना में सिर्फ सिटी बस की ही व्यवस्था है। नगर निगम की देखरेख में 120 बसें चलाई जा रही है। 80 बसें और 40 मिनी बस। इनमें से बड़ी 80 बसों में से सिर्फ 43 ही सड़कों पर हैं, बाकी बसें वर्कशाप की शोभा बढ़ा रही हैं। उस पर भी कयामत सिटी बस सर्विस प्रति महीना पांच लाख रुपये के घाटे में है।
250 ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी संभाल रहे हैं 16 लाख वाहनों की जिम्मेदारी
लुधियाना की सिकुड़ती सड़कें 16 लाख वाहनों को झेल रही हैं। इनको कंट्रोल करने के लिए सिर्फ 250 कर्मचारी ट्रैफिक पुलिस में तैनात हैं। यहीं वजह है कि शहर के लगभग हर हिस्से में बेतरतीब वाहन खड़े नजर आते हैं। ट्रैफिक लाइट्स की परवाह किए बगैर वाहन चालक इसे जंप कर रहे हैं। घंटों जाम में फंसे लोग खुद ब खुद ही यहां वहां से निकल जाते हैं। नो एंट्री जोन में बड़े वाहन सरपट भागते दिखते हैं, तो वाहनों की गति की तो कोई सीमा ही नहीं।
पुल की दो सैलाब टूटी तो दो महीने से ट्रैफिक बंद
मियाद पूरी कर चुका जगरांव ब्रिज दो साल से बंद पड़ा है। रेलवे और नगर निगम के दांवपेच में फंसा यह निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो पाया। आठ साल पहले बने गिल चौक फ्लाईओवर की दो स्लैब दो महीने पहले गिरी जो अब तक ठीक नहीं हो पाई।
डिप्टी कमिश्नर प्रदीप अग्रवाल ने जांच कमेटी बनाई तो एडिशनल डिप्टी कमिश्नर विकास शेना अग्रवाल की देखरेख में बनी जांच कमेटी ने इसका ठीकरा चूहों के सिर फोड़ दिया। फिरोजपुर रोड से समराला चौक तक बनने वाले एलिवेटिड पुल के निर्माण से फिरोजपुर रोड पर चलने वाला ट्रैफिक रेंगता नजर आता है।
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अब सड़कों में गड्ढे नहीं बल्कि गड्ढ़ों में सड़कें नजर आती हैं
पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना के खजाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले फोकल प्वाइंट इलाके की सड़कों की हालत ऐसी है कि वहां के बाबत कहा जाता है कि यहां सड़कों में गड्ढे नहीं हैं, बल्कि गड्ढों में सड़कें हैं। सिटी की सड़कें तो फिर भी ठीक हैं पर आउटर एरिया में सड़कें बदहाल हैं।
अतिक्रमण से सिकुड़ गए बाजार
अतिक्रमण से पूरा शहर ग्रस्त है। सबसे बुरी हालात तो अंदरूनी बाजार की है। पिंडी स्ट्रीट, किताब बाजार, सर्राफा गली, गुड़मंडी, मीना बाजार, फ्लाई बाजार, पुराना बाजार, दाल बाजार, साबुन बाजार, तालाब बाजार, चौड़ा बाजार, फील्डगंज सहित शहर के लगभग सभी इलाके अतिक्रमण से जूझ रहे हैं।
दस फीट की दुकान ने दस फीट सड़क घेर रखी है। सिविक सेंस और प्रशासन की सख्ती की कमी ने अतिक्रमण को बढ़ावा दिया है। लोग इन बाजारों में घुटन महसूस करने लगे हैं।