कई रहस्यों को समेटेे है तुंग हवेली, पुराने जमाने की Technology देख ताज्जुब में रह जाएंगे आप
तुंग की हवेली अपनेआप में बहुत अनूठी है। इसमें जहां दशकों पुरानी वस्तुओं का संग्रह है वहीं हवेली यहींं 1932 के प्रेशर इंजन से पैदा बिजली से रोशन होती है।
लुधियाना [दिलबाग दानिश]। फिरोजपुर रोड से सटे गांव गाहौर में स्थित तुंग की हवेली अपनेआप में बहुत अनूठी है। इसमें जहां दशकों पुरानी वस्तुओं का संग्रह है, वहीं हवेली यहींं 1932 के प्रेशर इंजन से पैदा बिजली से रोशन होती है। इस हवेली के मालिक अवतार सिंह तुंग हैं। उन्होंने अपने पुरखों की निशानियों को पूरे जतन के साथ संभालकर रखा हुआ है। हवेली को ‘स्वर्ग’ नाम दिया गया है।
अवतार सिंह बताते हैं कि उनकी हवेली की पिछली तरफ इंग्लैंड की कंपनी द्वारा 1932 में बनाया गया प्रेशर इंजन लगा है। इस इंजन की तकनीक वर्ष 1750 में इजाद की गई थी। उस समय इसे बड़े कारखानों में इस्तेमाल किया जाता था। उनके पुरखों ने यह मशीन सहेज ली। अब वह इससे बिजली पैदा करते हैं। बिजली न रहने पर पहले इसी से पूरे घर में बिजली की सप्लाई होती थी। हालांकि, अब तुंग परिवार ने जेनरेटर भी खरीद लिया है। तुंग हवेली में गन्ने का जूस निकालने की मशीन भी लगी हुई है। गन्ने भी हवेली में ही बीजे गए हैं।
अवतार तुंग ने हवेली में ही फलों और सब्जियों का बागीचा बनाया हुआ है। यहां पर किन्नू, नींबू और अन्य फलों के साथ-साथ कई सब्जियां भी लगी हुई हैं। वह कहते हैं कि यह काम मेरे पिता ने ही शुरू किया था, ताकि सब्जी और फलों के लिए उन्हें बाहर नहीं जाना पड़े। यह अमीर विरासत मैंने अपने पिता से ही संभालनी सीखी है।
हवेली में गन्ने का जूस निकालने की मशीन।
दो आलीशान गेटों से हवेली में होता है प्रवेश
हवेली के अंदर प्रवेश करने के लिए दो आलीशान गेट लगे हुए हैं। पहले गेट के बाहर दशकों पुरानी डोर बेल लगी है। अंदर जाने पर लकड़ी का फिर एक बड़ा सा गेट है। इस गेट के भीतर जाते ही दशकों पुरानी वस्तुओं के दीदार होते हैं। एक तरफ खड़ी बैलगाडी़, पंजाली, तंगली (तूड़ी एकत्रित करने वाला औजार) और पत्थर की चक्की आदि सामान अलग ही दुनिया का अहसास करवाते हैं। यहां पर सौ साल पुराना हमाम और पानी गर्म करने का पुरातन गीजर भी है।
नायाब वाहनों का संग्रह भी
अवतार सिंह तुंग के पास नायाब वाहनों का संग्रह भी है। इनमें खुद की बनवाई पीतल की जीप खास है। इसके लिए वह चार साल तक जयपुर जाते रहे। इसका पीतल भी इंग्लैंड से मंगवाया गया था। इसके अलावा उनके पास सेना में इस्तेमाल किया गया रूस का ट्रक है। सेना ने इसे कबाड़ में बेच दिया था। तुंग इसे कबाड़ से लाए और इसको पेंट करवाया। रूस की कंपनी का जौंगा, फौज की जीप, 1984 मॉडल की मारूति कार, 1987 की फिएट कार भी है।
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