तीस फीसद इंजीनियर्स को ही मिलती है अच्छी जॉब
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिग्स ने इंजीनियरिग एवं मैनेजमेंट शिक्षा के स्तर को सुधारने की वकालत की है। इस संबंध में चैंबर ने सरकार को कुछ सुझाव भी दिए हैं। सीआईसीयू का तर्क है कि स्तरीय शिक्षा के अभाव का सीधा असर औद्योगिक ग्रोथ पर हो रहा है। ऐसे में शिक्षा को सीधे उद्योग की जरूरतों से जोड़ना होगा ताकि उद्योग में ट्रेंड मैनपावर की कमी को पूरा किया जा सके।
जागरण संवाददाता, लुधियाना
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिग्स ने इंजीनियरिग एवं मैनेजमेंट शिक्षा के स्तर को सुधारने की वकालत की है। इस संबंध में चैंबर ने सरकार को कुछ सुझाव भी दिए हैं। सीआइसीयू का तर्क है कि स्तरीय शिक्षा के अभाव का सीधा असर औद्योगिक ग्रोथ पर हो रहा है। ऐसे में शिक्षा को सीधे उद्योग की जरूरतों से जोड़ना होगा, ताकि उद्योग में ट्रेंड मैनपावर की कमी को पूरा किया जा सके।
चैंबर के अनुसार अमेरिका की 16 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था है और वहां पर सालाना एक लाख इंजीनियर तैयार होते हैं। जबकि भारत में दो ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था है और यहां पर सालाना पंद्रह लाख इंजीनियर तैयार किए जाते हैं। इनमें से सिर्फ तीस फीसद को बेहतर रोजगार मिलता है। सबसे ज्यादा रोजगार मेन्युफैक्चरिग सेक्टर देता है, लेकिन आर्थिक सुस्ती के कारण इस सेक्टर में नए रोजगार नहीं पनप रहे हैं। इसके अलावा आइटी सेक्टर में भी सुस्ती का असर रोजगार पर हो रहा है। चैंबर के प्रधान उपकार सिंह आहूजा का तर्क है कि विश्व बैंक ने भी कहा कि भारत में कमजोर शिक्षा के स्तर और सीखने में रूचि की कमी के चलते युवाओं को नई राहें नहीं दिख रही हैं।
चैंबर ने सुझाव दिया है कि शिक्षा हासिल कर रहे युवाओं को औद्योगिक इकाईयों में ट्रेनिग दी जाए। युवाओं को अतिआधुनिक थ्योरी एवं तकनीकी जानकारी मुहैया कराई जाए। विद्यार्थियों को विश्व स्तरीय अतिआधुनिक मशीनों के बारे में अपडेट करके उनको ट्रेनिग दी जाए। इसके लिए कालेज उद्योगों से हाथ मिला कर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सकते हैं। कालेज प्रबंधन को विद्यार्थियों को नए उत्पादों की डेवलपमेंट, डिजाइन डेवलपमेंट, उत्पादकता के बारे में भी अपडेट करना होगा। साथ ही शिक्षा पूर्ण होने के बाद चालीस फीसद विद्यार्थियों को भी जॉब न दिलाने वाले कॉलेजों की रजिस्ट्रेशन सरकार कैंसिल करे।