पंजाब चुनाव 2022: लुधियाना पश्चिम में इस बार रोमांचक होगा मुकाबला, मंत्री आशु को मिलेगी कड़ी चुनौती
Punjab Chunav 2022ः औद्योगिक शहर लुधियाना का सबसे पॉश विधानसभा क्षेत्र लुधियाना पश्चिम में वैसे तो लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। कई इलाकों में चौड़ी-चौड़ी सड़कें हैं लेकिन इलाके में चल रहे विकास कार्यों के समय पर पूरा न होना लोगों को खल रहा है।
भूपेंदर सिंह भाटिया, लुधियाना। Punjab Chunav 2022ः औद्योगिक शहर लुधियाना का सबसे पॉश विधानसभा क्षेत्र लुधियाना पश्चिम में वैसे तो लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। कई इलाकों में चौड़ी-चौड़ी सड़कें हैं, लेकिन इलाके में चल रहे विकास कार्यों के समय पर पूरा न होना लोगों को खल रहा है। हीरो बेकरी से पक्खोवाल नहर तक अंडरपाथ का मामला आम लोगों से जुड़ा है। यहां से हजारों लोग रोजाना आते-जाते हैं, लेकिन अभी तक इसका काम पूरा नहीं हो पाया। इसी इलाके से मंत्री रहे भारत भूषण आशु ने इसके लिए अथक प्रयास किए और कार्यकाल के अंतिम वर्ष में उन्होंने इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा, लेकिन ठेकेदार फिर भी तय सीमा पर इसे पूरा नहीं कर पाए। लेटलतीफी का आलम यह है कि आरयूबी पार्ट-2 प्रोजेक्ट की डेडलाइन छह बार बदल चुकी है, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो पाया।
इस पूरे प्रोजेक्ट की दो बार डेडलाइन गुजर चुकी है और अब फरवरी 2022 की नई डेडलाइन है, लेकिन प्रोजेक्ट को पूरा होने में कम से कम एक साल लग जाएगा। इतना ही नहीं, मल्हार रोड के सौंदर्यीकरण और फुटपाथ बड़े व सड़की छोटी के प्रोजेक्ट में भी ग्रहण लगा है और विदेशों की तर्ज पर चौड़े फुटपाथ पूरे न होना आज भी मुंह चिढ़ा रहे हैं। वैसे तो इस क्षेत्र में 1977 में विधानसभा सीट बनी थी, लेकिन ओल्ड लुधियाना से कटकर बनाया गया न्यू लुधियाना शहर खूबसूरत इलाकों में शुमार है। योजना के साथ बने नए शहर में चौड़ी सड़कें और जगह-जगह पार्क हैं। हमेशा से यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। इस विधानसभा में नौ बार चुनाव हुए और छह बार कांग्रेस को जीत मिली है। दो बार शिअद और एक बार जेएमपी ने ये सीट जीती है। कांग्रेस के ही पूर्व मंत्री हरनाम दास जौहर ने तीन बार चुनाव जीता तो मंत्री भारत भूषण आशु भी यहां हैट्रिक करने की कोशिश में हैं। इस बार आशु को अपने ही पुराने साथियों की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस छोड़कर आप का दामन थामने वाले गुरप्रीत गोगी जहां उन्हें ठेस पहुंचाने की कोशिश में हैं, वहीं उन्हें अपने ही साथी शिअद के महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। भाजपा ने अभी इस सीट से अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
आशु को मिली थी सबसे बड़ी जीत
आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पिछले चुनाव में आशु ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आप के अहबाब ग्रेवाल (30,106) से दोगुने से ज्यादा वोट (66,627) हासिल किए थे और इस विधानसभा में 36,521 मतों से अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। पिछले चुनाव में शिअद और भाजपा एक साथ उतरे थे, लेकिन इस बार वह अलग-अलग ताल ठोंक रहे हैं।
वर्करों के साथ रणनीति बना रहे आशु
चुनाव आयोग ने 22 जनवरी तक नुक्कड़ सभाओं और रैलियों पर रोक लगाई है। ऐसे में उम्मीदवार पार्टी वर्करों के साथ चुनावी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं। शीर्ष उम्मीदवार इलाके में अलग-अलग स्थानों पर छोटी-छोटी बैठकें कर कार्यकर्ताओं को उत्साहित कर रहे हैं। साथ ही वह डोर-टू-डोर लोगों से मिल रहे हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जा सके। उधर, लोगों का कहना है कि चुनाव के समय सभी पार्टियों के नेता यहां आकर आश्वासन देते हैं, लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद कोई सुध तक लेने नहीं आता।