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बरेली व डाल्टनगंज के लिए दो ट्रेनों में 2100 श्रमिक घर रवाना

बुधवार को लुधियाना रेलवे स्टेशन से दो अलग-अलग ट्रेनों में लगभग 2100 श्रमिक उत्तर प्रदेश के बरेली और झारखंड के डाल्टनगंज के लिए रवाना हुए।

By Edited By: Published: Thu, 07 May 2020 02:25 AM (IST)Updated: Thu, 07 May 2020 02:25 AM (IST)
बरेली व डाल्टनगंज के लिए दो ट्रेनों में 2100 श्रमिक घर रवाना
बरेली व डाल्टनगंज के लिए दो ट्रेनों में 2100 श्रमिक घर रवाना

लुधियाना, जेएनएन। श्रमिकों का लुधियाना से अपने गृह प्रदेशों की तरफ जाने का सिलसिला जारी है। दूसरे दिन बुधवार को लुधियाना रेलवे स्टेशन से दो अलग-अलग ट्रेनों में लगभग 2100 श्रमिक उत्तर प्रदेश के बरेली और झारखंड के डाल्टनगंज के लिए रवाना हुए। इसके तहत बरेली के लिए 945 और डाल्टनगंज के लिए 1150 श्रमिकों को ट्रेनों में भेजा गया। बरेली जाने वाली ट्रेन का समय सुबह आठ बजे का था, परंतु श्रमिकों को बैठाने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने में काफी वक्त लगने के कारण यह ट्रेन 11 बजे रवाना हुई। 

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वहीं डाल्टनगंज जाने वाली ट्रेन को 12 बजे जाना था, लेकिन वह 2.40 बजे रवाना हुई। इसके अलावा दो दिन से मध्य प्रदेश के कटनी के लिए भी ट्रेन जाने की सूचना थी, लेकिन बुधवार देर शाम तक इसका शेड्यूल नहीं मिला। वहीं वीरवार शाम को लुधियाना से ग्वालियर के लिए ट्रेन का शेड्यूल रेलवे द्वारा जारी किया गया है। यह ट्रेन शाम आठ बजे लुधियाना रेलवे स्टेशन से रवाना होगी। इस बारे में रेलवे की तरफ से प्रशासन को सूची दे दी जाएगी और निगम की टीमें वीरवार सुबह दस बजे के बाद लोगों को रेलवे स्टेशन पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू करेगी। 

सुबह आठ बजे बरेली जाने वाली ट्रेन के बारे में नगर निगम को प्रशासन की तरफ से मंगलवार देर रात 11 बजे सूचियां उपलब्ध करवाई गई। इसके बाद निगम कर्मियों ने तड़के तीन बजे तक लोगों को फोन करके तैयार रहने की सूचना दी। वहीं तीन बजे तड़के बस स्टैंड से श्रमिकों को लेने के लिए बसें रवाना कीं। इसके बाद चार बजे से श्रमिकों का बस स्टैंड पर आना शुरू हो गया था। जहां सेहत विभाग की टीमों ने उनकी स्क्रीनिंग की। दस बजे तक बस स्टैंड पर श्रमिकों की स्‍क्रीनिंग होती रही। इसके अलावा कुछ श्रमिक बसों तक समय पर नहीं पहुंच पाए थे, वे पैदल ही रेलवे स्टेशन पहुंचे। रेलवे स्टेशन पर बिना मेडिकल के उन्हें अंदर एंट्री नहीं दी गई।

बाद में सेहत विभाग की एक टीम रेलवे स्टेशन के बाहर पहुंची और उन्होंने यात्रियों का मेडिकल चेकअप कर उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया। इसी तरह डाल्टनगंज जाने वाली ट्रेन के श्रमिकों को सुबह आठ बजे बस स्टैंड पर लाया गया। वहां पर सेहत विभाग की दूसरी टीमों ने श्रमिकों का मेडिकल किया। मेडिकल के बाद यात्रियों को दो बजे तक रेलवे स्टेशन पहुंचाया गया।

कटनी जाने वाली ट्रेन की सूचियों का इंतजार करते रहे निगम अधिकारी

नगर निगम की टीमों को जिला प्रशासन की तरफ से सूचना दी गई थी कि बुधवार को दो बजे मध्य प्रदेश के कटनी के लिए एक ट्रेन चलेगी। मगर, झारखंड के डाल्टनगंज की ट्रेन रवाना होने तक भी निगम के पास कटनी जाने वाली ट्रेन की सूचना नहीं आई। इसके बावजूद देर शाम तक नगर निगम, सेहत विभाग व ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारी, ड्राइवर व कंडक्टर बस स्टैंड पर ही मौजूद रहे।

स्वयंसेवी संस्थाओं ने श्रमिकों को दिया पानी, खाना व अन्य

सामान रेलवे स्टेशन पर पहुंचे श्रमिकों को ट्रेन में बैठने से पहले शहर की विभिन्न संस्थाओं ने उन्हें पेयजल, खाने के पैकेट, सैनिटाइजर, मास्क व अन्य सामान दिया। ट्रेन में भी यात्रियों को खाने व पानी की बोतल उपलब्ध करवाई गई। झारखंड जा रहे श्रमिक सुरेश ने बताया कि वह करीब सात साल से लुधियाना में नौकरी कर रहा था और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा था। उसका परिवार झारखंड में ही रहता है। अब नौकरी चले गई तो घर के लोगों ने उसे वापस बुला लिया। स्थिति सामान्य होने पर वह फिर से लुधियाना आएगा। 

पंजाबी व अंग्रेजी के एसएमएस बढ़ा रहे श्रमिकों की मुश्किलें 

श्रमिकों ने पंजाब सरकार की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किए। आवेदन के बाद जो कंफर्मेशन का मैसेज श्रमिकों को भेजा जा रहा है वह आधा पंजाबी में है और आधा अंग्रेजी में। श्रमिकों को न तो पंजाबी पढ़नी आती है और न ही अंग्रेजी। जिसकी वजह से कंफर्मेशन का मैसेज आते ही वे रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं। बुधवार को लखनऊ जाने वाले कई यात्री पैदल ही रेलवे स्टेशन पहुंचे। वहां खड़े सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें बस स्टैंड जाकर मेडिकल करवाने को कह दिया। जब वह बस स्टैंड पहुंचे, तो तब उन्हें पता लगा कि यह मैसेज रजिस्ट्रेशन की कंफर्मेशन का है। जिसके बाद उन्हें पैदल ही वापस जाना पड़ा। 

श्रमिकों को जल्द घर भेजने के लिए ट्रेनों की संख्या बढ़ाने का दबाव बना

लुधियाना से अलग-अलग राज्यों को जाने के लिए पांच लाख से ज्यादा लोग अब तक रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। एक ट्रेन में 1200 से ज्यादा श्रमिकों को नहीं भेजा जा रहा। ऐसे में पांच लाख श्रमिकों को वापस भेजना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। श्रमिकों की संख्या ज्यादा होने की वजह से प्रशासन पर ट्रेनों की संख्या बढ़ाने का दबाव बन गया है। जिला प्रशासन ने इसके लिए एक्सरसाइज शुरू कर दी है।

डीसी व निगम कमिश्नर ने लिया बस स्टैंड पर जायजा

बस स्टैंड पर श्रमिकों को लाने और उनकी मेडिकल स्क्री¨नग की जा रही है। बुधवार को निगम कमिश्नर कंवलप्रीत कौर काफी समय तक बस स्टैंड पर डटी रही। उसके बाद डीसी प्रदीप अग्रवाल बस स्टैंड पहुंचे और पूरी प्रक्रिया का जायजा लिया। डीसी ने निगम अफसरों के साथ ज्यादा गाड़ियां चलाए जाने पर व्यवस्था बढ़ाने पर भी चर्चा की।

बरेली के 80 श्रमिकों को न ले जाने का आरोप

रेलवे स्टेशन के बाहर खड़े पूर्वाचली नेताओं का आरोप था कि रेलवे बरेली जाने वाली गाड़ी को खाली लेकर गया है, लेकिन उन्होंने 15 मिनट का इंतजार नहीं किया। उनका आरोप है कि कुछ बसें रास्ते में थीं, उनमें करीब 80 श्रमिक थे। जब तक वे रेलवे स्टेशन पहुंचते, आग्रह के बावजूद ट्रेन चला दी गई। उधर, नगर निगम के सेक्रेटरी जसदेव ¨सह सेखों ने बताया कि सभी बसें यहां से समय पर रेलवे स्टेशन भेज दी गई थीं। जब सभी यात्री स्टेशन पहुंच गए थे तो कमिश्नर ने रेलवे अधिकारियों से बात की और बताया कि झारखंड के सभी श्रमिक यहां से भेज दिए गए हैं। रेलवे अधिकारियों ने भी सूचियां टेलीकर सभी श्रमिकों के पहुंचने की सूचना दी। 80 श्रमिकों के बसों में रहने की बात सरासर निराधार है।

सुधार के एक दर्जन श्रमिकों को नहीं मिली ट्रेन

जिला प्रशासन की तरफ से निगम क्षेत्र से बाहर के श्रमिकों को भी ट्रेन के बारे में एसएमएस से सूचना दी गई। सुधार थाने में पुलिस कर्मी पहले बस का इंतजार करते रहे, लेकिन बाद में खुद ही वह करीब एक दर्जन श्रमिकों को लेकर बस स्टैंड पहुंच गए। तब तक बरेली की ट्रेन जा चुकी थी। सुधार के इन श्रमिकों का नाम निगम को सौंपी गई सूची में शामिल नहीं था।


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