समराला में पहली बार साइबेरियन पक्षियों ने दी दस्तक
समराला में पहली बार प्रवासी पक्षियों ने दस्तक दी है। समराला से 4 किलोमीटर दूर शाही स्पोर्ट्स कॉलेज में लगे पेड़ों पर ये पक्षी रहे रहे हैं। पक्षी प्रेमियों का कहना है कि ये पक्षी साइबेरिया से आए लगते है। जब ये पक्षी कॉलेज की ग्राउंड में उतरते है तो सबको अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इनका आकार भारत के पक्षियों के मुकाबले बड़ा है।
संवाद सहयोगी, समराला : समराला में पहली बार प्रवासी पक्षियों ने दस्तक दी है। समराला से 4 किलोमीटर दूर शाही स्पोर्ट्स कॉलेज में लगे पेड़ों पर ये पक्षी रहे रहे हैं। पक्षी प्रेमियों का कहना है कि ये पक्षी साइबेरिया से आए लगते है। जब ये पक्षी कॉलेज की ग्राउंड में उतरते है तो सबको अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इनका आकार भारत के पक्षियों के मुकाबले बड़ा है। इनका रग काला है। पक्षी प्रेमियों का कहना है कि वह इन पक्षियों को देखकर हैरान है कि समराला में इन पक्षियों ने किस तरह अपना बसेरा बनाया है क्योंकि विदेशी पक्षी हरीके पत्तन, रोपड़ की वेटलैंड और पोंगडैम पर ही उतरते है क्योंकि कई विदेशों में बर्फ बारी के बाद ही यह पक्षी भारत का रुख करते हैं।
यह पक्षी इनसान की आहट का तुरत ही पता लगा लेतें हैं और उड़ जाते हैं। ये पक्षी एक कतार में उड़ते है और वहां पहुंच जाते है जहां इन्होंने अपना बसेरा बनाया होता है। यह ग्राउंड में ठंडे मौसम के समय यानी सुबह और शाम को ही दिखाई देते है। पक्षी प्रेमियों का यह भी कहना है कि ये विदेशी पक्षी कई बार यहां प्रवास के दौरान अंडे देते हैं। उसके बाद उनके बच्चे बडे़ होने के बाद अपने देश वापस चले जाते है क्योंकि वहां ठड कम हो जाती है और यहां बढ़ जाती है।
फि लहाल पक्षी प्रेमी इनकी तस्वीरे ले रहे है और यह पक्षी इसान द्वारा दी गई कोई भी चीज नहीं खाते।
पक्षी प्रेमियों की नजर में. अभी गर्मी में इन पक्षियों का आना हैरान करने वाला : ढिल्लों
पक्षी प्रेमी सुरिदरपाल सिंह ढिल्लों का कहना है कि यह पक्षी ज्यादातर अक्टूबर में यहां आना पसंद करतें है क्योकि इनके लिए उस वक्त का मौसम ठीक हो जाता है। उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि अगस्त के महीने में ज्यादा गर्मी होती है लेकिन ये पक्षी ज्यादा गर्मी नहीं सह सकते। ऐसे में इस समय इनका यहां आना हैरानीजनक है। जहां मछली का तालाब हो वहां आते हैं: रमन
एक अन्य पक्षी प्रेमी रमन वढेरा का कहना है कि यह पक्षी उस जगह आते है जहां मछली का तालाब हो क्योंकि उस जगह पर ठडक ज्यादा होती है और ज्यादातर छोटी मछलियों को अपना आहार बनाते है। इनकी उड़ान बहुत ही लंबी होती है जो ज्यादातर शाम को ही शुरू होती है। जब मौसम गर्म होने लगता है तो ये अपना बसेरा वहीं किसी पेड़ पर बना लेते है।