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दूसरे दिन भी सरकारी अस्पतालों में मरीज हुए परेशान

पीसीएमएस एसोसिएशन के आहवाहन पर मंगलवार को भी सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों ने सिविल सर्जन कार्यालय में जाकर धरना दिया। डाक्टरों ने असिस्टेंट सिविल सर्जन के दफ्तर को ताला जड़ दिया और नौकरी को लेकर मेडिकल करवाने पहुंचे 50 से अधिक लोगों को वापस लौटा दिया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 01:11 AM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 01:11 AM (IST)
दूसरे दिन भी सरकारी अस्पतालों में मरीज हुए परेशान
दूसरे दिन भी सरकारी अस्पतालों में मरीज हुए परेशान

जागरण संवाददाता, लुधियाना : पीसीएमएस एसोसिएशन के आहवाहन पर मंगलवार को भी सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों ने सिविल सर्जन कार्यालय में जाकर धरना दिया। डाक्टरों ने असिस्टेंट सिविल सर्जन के दफ्तर को ताला जड़ दिया और नौकरी को लेकर मेडिकल करवाने पहुंचे 50 से अधिक लोगों को वापस लौटा दिया। इसके बाद कार्यालय के दूसरे विभागों में जाकर भी कामकाज रुकवा दिया। डाक्टरों ने दोपहर एक बजे तक सिविल सर्जन कार्यालय में काम रोके रखा। उधर दूसरी तरफ बरसात में भीगते हुए इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में पहुंचे मरीज परेशान रहे।

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सिविल अस्पताल की ओपीडी ब्लाक और मदर एंड चाइल्ड अस्पताल की ओपीडी ब्लाक में एक भी डाक्टर अपनी सीट पर नहीं था। डाक्टरों के कमरे खाली पड़े थे। मरीज आए और खाली कमरे देखकर चले गए। यही नहीं, बच्चों की वैक्सीनेशन भी नहीं हुई। टीबी व बुखार से पीड़ित मरीजों को इमरजेंसी में भी नहीं देखा गया।

सलेम टाबरी की रहने वाली बेबी टीबी से पीड़ित अपनी बेटी के इलाज के लिए पहुंची थी। बेबी ने बताया कि बेटी को बुखार था और लगातार खांसी आ रही थी। इमरजेंसी में गई, तो वहां भी हड़ताल की बात कहकर लौटा दिया गया।

शेरपुर के रहने वाले मनोज पाल ने बताया कि वह अपने बेटे को पांच साल पूरे होने के बाद जो टीका लगता है, वह लगाने के लिए आए थे। पहले वह मदर एंड चाइल्ड अस्पताल गए, फिर सिविल अस्पताल में गए। दोनों जगहों पर उन्हें कहा गया कि हड़ताल है, बच्चों की वैक्सीनेशन नहीं होगी। उन्हें सात अगस्त के बाद अस्पताल आने के लिए कहा गया।

टिब्बा रोड के रहने वाले सुरेश कुमार अपनी तीन दिन से बुखार से पीड़ित पत्नी को इलाज के लिए लेकर पहुंचे। सुरेश ने बताया कि ओपीडी में जब डाक्टर नहीं थे, तो वह इमरजेंसी में गए। वहां इमरजेंसी में बैठे डाक्टर को पत्नी की हालत के बारे में बताते हुए इलाज नहीं दिया। उसे भर्ती नहीं किया और अगले सप्ताह आने के लिए कहा। सुरेश ने कहा कि उनकी पत्नी की हालत खराब है,उसके बावजूद भी उसे एडमिट नहीं किया गया।


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