किसी पर गलत टिप्पणी न करें : संत विनय मुनि
संयम क्या है अनुशासन सबसे पहले हमारे अंदर ही अनुशासन होना चाहिए तभी हम दूसरों को अनुशासित कर सकते है यहीं संयम है। ये विचार संत मुनि विनय कुमार आलोक ने व्यक्त किए।
संस, लुधियाना : संयम क्या है, अनुशासन, सबसे पहले हमारे अंदर ही अनुशासन होना चाहिए, तभी हम दूसरों को अनुशासित कर सकते है, यहीं संयम है। ये विचार संत मुनि विनय कुमार आलोक ने व्यक्त किए। इकबाल गंज रोड़ तेरापंथ भवन में संत विनय मुनि आलोक ठाणा-2 सुखसाता विराजमान है। संत विनय कुमार आलोक ने कहा कि भगवान महावीर ने जप, तप व स्वाध्याय के संगम से मोक्ष की प्राप्ति हासिल की। उन्होंने कहा कि अच्छे श्रावक वहीं है, जो तप, त्याग व स्वाधाय का अनुसरण करते है। भगवान महावीर जी ने भी किया था, हम सभी को इसका अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जिस प्रकार तीर कमान से निकला हुआ तीर वापिस नहीं लौटता है, उसी प्रकार एक बार मुंह से निकले शब्द कभी वापिस नहीं लौटाया जा सकते। उन्होंने आगे कहा कि किसी पर गलत टिप्पणी न करें और न ही अपनी बात को व्यंग्य में पेश करे। किसी को खाने में मिष्ठान भले ही न खिला सकें, लेकिन आपके चार मीठे बोल उसके खाने को जायकेदार बना देंगे।
मुनि श्री ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि किसान ने अपने पड़ौसी की खूब निदा की। उसके बारे गलत बाते बोली। बोलने के बाद उसे ज्यादा ही कह दिया, गलत कर दिया। वह धर्म गुरु के पास गया और बोला। मैंने अपने पड़ोसी की निदा में बहुत उल्टी सीधी बातें कह दी। अब इन बातों को कैसे वापिस लूं। धर्मगुरु ने वहां पर पक्षियों के बिखेरे पंख को एकत्रित करने के लिए कहा, लेकिन वह पंखे उड गए, वापिस नहीं आए, उसी प्रकार एक बार मुंह से निकली बात वापिस जीभ पर नहीं ली जा सकती। हर बात सोचने की होती है, पर बात करने की नहीं होती। सोचने व कहने के अंतर को समझना चाहिए।