जिसका गुरु नहीं, उसका जीवन शुरू नहीं : साध्वी रत्न संचिता
एसएस जैन स्थानक सभा सिविल लाइंस के तत्वाधान में महासाध्वी वीणा म. ठाणा-5 के सानिध्य में चातुर्मास की सभा जारी है। इस अवसर पर साध्वी रत्न संचिता महाराज ने कहा कि साधक आत्माएं चार माह के किए स्थिरवास में चले गए है।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सभा सिविल लाइंस के तत्वाधान में महासाध्वी वीणा म. ठाणा-5 के सानिध्य में चातुर्मास की सभा जारी है। इस अवसर पर साध्वी रत्न संचिता महाराज ने कहा कि साधक आत्माएं चार माह के किए स्थिरवास में चले गए है। जैसे बादलों से पानी बरसने पर आठ माह से शुल्क बनी धरती गिली हो जाती है। वैसे ही अनादि काल से जिनवाणी और धर्म के अभाव में शुष्क बनी आत्मा को वीतराग वाणी की वर्षा संतजनों के मुखारविद होने पर आत्मा पावन और शुद्ध हो जाती है। वर्षावास का समय स्वयं को पहचानने के लिए आता है। वीतराग वाणी के आइने में अपनी आत्मा के क्रिया कसाप देखना चाहिए। चातुर्मास काल में स्वाध्याय, जाप, रात्रि भोजन का त्याग, जमीकंदों का त्याग शीलव्रत आदि अपने जीवन में यथाशक्ति धारण करना चाहिए। जैसे बादलों के बरसने पर जमा हुआ कूड़ा, कचरा, मैल बस बह जाता है। इसी प्रकार चातुर्मास काल में संतों से जिनवाणी की चर्चा होती है, आत्मों में जमी गंदगी, विषय कषाय के भाव भी दूर हो जाते है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारी संस्कृति में गुरु का स्थान बड़ा माना गया है। जिसका गुरु नहीं, उसका जीवन शुरू नहीं। गुरु शब्द का अर्थ भारी या बड़ा होता है, गुरु हमें सच्ची राह दिखाते है। गुरु को भगवान से भी बड़ा माना है। कारण हम भगवान को नहीं जानतें। उनकी पहचान हमें गुरु से ही संभव है। वे छुपकारी है। अत: गुरु को गोविद से बड़ा माना जाता है। इस अवसर पर चातुर्मास कमेटी चेयरमैन जितेंद्र जैन, सभाध्यक्ष अरिदमन जैन, सीनियर उपाध्यक्ष सुभाष जैन, महामंत्री प्रमोद जैन, कोषाध्यक्ष रजनीश जैन गोल्ड स्टार, विनोद जैन गोयम, मोती लाल जैन, नीलम जैन कंगारू, फूलचंद जैन, संजय जैन, वैभव जैन आदि सदस्यगण शामिल थे।