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दुख की घड़ी में एक दूसरे के प्रति डटकर खड़े : आचार्य नित्यानंद सूरि

प्रतिवर्ष सांवत्सरिक महापर्व के बाद आने वाली संक्रान्ति को क्षमापना संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है। उसी परम्परा का पालन करते हुए गछाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर म. की निश्रा में पाली के विजय वल्लभ साधना केंद्र में क्षमापना संक्रान्ति समारोह का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 05:45 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 05:45 AM (IST)
दुख की घड़ी में एक दूसरे के प्रति डटकर खड़े : आचार्य नित्यानंद सूरि
दुख की घड़ी में एक दूसरे के प्रति डटकर खड़े : आचार्य नित्यानंद सूरि

संस, लुधियाना : प्रतिवर्ष सांवत्सरिक महापर्व के बाद आने वाली संक्रान्ति को क्षमापना संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है। उसी परम्परा का पालन करते हुए गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर म. की निश्रा में पाली के विजय वल्लभ साधना केंद्र में क्षमापना संक्रान्ति समारोह का आयोजन किया गया। कोविड-19 की गाइड लाइन्स को ध्यान में रखकर समारोह आयोजित किया गया। आचार्य श्री नित्यानंद सूरि म.ने कहा कि कोरोना महामारी का सम्पूर्ण विश्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसे विकट समय में एक दूसरे के दु:ख दर्द में सहायक बनना श्रावक का विशेष कर्तव्य है। व्यक्ति को इंसानियत का त्याग न करके नि:स्वार्थ भाव से मानव सेवा में जुटना चाहिए। गच्छाधिपति ने भी क्षमापना करते हुए क्षमा धर्म की महिमा को समझाया और बताया कि क्षमा ही मुक्ति का प्रवेश द्वार है। क्षमा का आदान प्रदान सच्चे हृदय से होना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री मोक्षानन्द विजय जी म. ने किया। अंत में गणि श्री जयकीर्ति विजय जी म.ने संक्रान्ति स्तोत्र सुनाए और गच्छाधिपति जी ने संक्रान्ति नाम श्रवण करवाया।

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चौमासे के मुख्य लाभार्थी परिवार लीला देवी घीसूलाल सुराणा का बहुमान ट्रस्ट मण्डल द्वारा सम्मान किया गया। उनकी ओर से संघपूजा भी की गई । इस दौरान मोहन लाल रंग वाले ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया। राघव प्रसाद पांडेय ने गुरु वल्लभ की महान परम्परा का अतीत से वर्तमान तक की गौरवशाली इतिहास अपने वक्तव्य में प्रस्तुत किया। इसके अलावा जैतपुरा में मुनियों को अध्ययन करवा रहे अपने डा. शम्भू दयाल जी पांडेय की ओर से भी क्षमापना की। आचार्य श्री जयानंद सूरि म., आचार्य श्री चिदानंद सूरि म. ने क्षमापना के संदर्भ में समयोचित प्रभावपूर्ण प्रवचन दिए। स्वर भूषण आचार्य श्री के भजनों से भक्त झूमने के लिए विवश हो गए । इस दौरान महानगर से पधारे प्रवीण जैन दुग्गड़, जोगिदरपाल जैन ने लुधियाना जैन संक्रान्ति मण्डल की ओर से क्षमापना की तथा साथ ही अखिल भारतीय श्री आत्म वल्लभ जैन महासंघ , श्री आत्मानंद जैन महासभा उत्तरी भारत , शिरोमणि जैन संघ, श्री आत्मानंद जैन महासमिति लुधियाना , श्री आत्म वल्लभ जैन सर्व मंगल ट्रस्ट लुधियाना, श्री विजय वल्लभ जैन युवक महासंघ उत्तरी भारत की ओर से भी प्रतिनिधित्व करते हुए क्षमापना की ।


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