श्रेष्ठ दृष्टि ही ज्ञान और मोक्ष का साधन : अनुपम मुनि
तपसम्राट श्री सत्येंद्र मुनि महाराज सा. लोकमान्य संत श्री अनुपम मुनि म. सा. मधुरभाषी श्री अमृत मुनि म. सा. विद्याभिलाषी अतिशय मुनि म. सा. ठाणा-4 जैन स्थानक नूरवाला रोड़ में शुक्रवार को चातुर्मास सभा प्रारंभ हुई। इस अवसर पर संत अनुपम मुनि म. ने कहा कि संसारी प्राणी अष्टकर्मो के कारण चार गति चौरासी लाख जीव योनि में भ्रमण करता है अर्थात कर्मों के जीव योनि में जन्मता है और मरता है।
संस, लुधियाना : तपसम्राट श्री सत्येंद्र मुनि महाराज सा., लोकमान्य संत श्री अनुपम मुनि म. सा., मधुरभाषी श्री अमृत मुनि म. सा., विद्याभिलाषी अतिशय मुनि म. सा. ठाणा-4 जैन स्थानक नूरवाला रोड़ में शुक्रवार को चातुर्मास सभा प्रारंभ हुई। इस अवसर पर संत अनुपम मुनि म. ने कहा कि संसारी प्राणी अष्टकर्मो के कारण चार गति, चौरासी लाख जीव योनि में भ्रमण करता है अर्थात कर्मों के जीव योनि में जन्मता है और मरता है। इससे बचने के लिए जैन 24 तीर्थंकरों में और पूर्वज गुरु एवं अनुभावियों ने ऐसे अद्वितीय अक्षय धाम मोक्ष की प्राप्ति के लिए मनुष्याओं के लिए उपदेश दिया है जो हम सब के लिए मोक्ष मार्ग का साधन है। सम्य दर्शन, ज्ञान और चारित्र। इन्हें रत्नत्रय भी कहते है। दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप मोक्ष के लिए सहायक है। मुनि श्री दर्शन का अर्थ करते हुए कहा कि दष्टि को दर्शन कहते है, सोच को दर्शन कहते है। सोच, विचार, ²ष्टि और नजरिया को दर्शन कहते है। सम्यक का अर्थ है सच्ची दष्टि। अर्थात ²ष्टि सच्ची होगी, हमारा ज्ञान सच्चा होगा और हमारा चारित्र श्रेष्ठ होगा। श्रेष्ठ दृष्टि ही ज्ञान और मोक्ष का साधन है। इस अवसर पर सभा महामंत्री अशोक जैन ओसवाल ने कहा कि आज शाम 8.45 से 9.45 तक चमत्कारी भक्तांबर जप, तप साधना होगी। सुबह 6 से सायं 6 बजे से जैन महामृत्युंज्य जाप चल रहा है।