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शिअद की झोली में आई लुधियाना नार्थ सीट, दावेदारों के चेहरे खिले

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच लुधियाना नार्थ व रायकोट की सीट को लेकर अदला-बदली हुई है। लुधियाना नार्थ सीट वापस शिअद की झोली में आने से टिकट के प्रबल दावेदारों के चेहरे खिल गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 12:43 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 12:43 AM (IST)
शिअद की झोली में आई लुधियाना नार्थ सीट, दावेदारों के चेहरे खिले
शिअद की झोली में आई लुधियाना नार्थ सीट, दावेदारों के चेहरे खिले

भूपेंदर सिंह भाटिया, लुधियाना : शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच लुधियाना नार्थ व रायकोट की सीट को लेकर अदला-बदली हुई है। लुधियाना नार्थ सीट वापस शिअद की झोली में आने से टिकट के प्रबल दावेदारों के चेहरे खिल गए हैं। दावेदार काफी समय से शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल पर इस सीट की बसपा से बदलने के लिए दबाव बना रहे थे। खास बात यह भी है कि यहां से कांग्रेस के मौजूदा विधायक राकेश पांडेय छह बार जीत दर्ज कर चुके हैं। उनके किले में सेंध लगाना इतना आसान भी नहीं होगा।

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सुखबीर जब लुधियाना दौरे पर आए थे तो उस समय भी नार्थ हलके की सीट को बदलने की चर्चा जोरों पर थी। आखिर बसपा ने यह सीट शिअद को वापस कर दी है। इसके साथ ही अब साफ हो गया कि लुधियाना शहर की सभी सीटों पर शिअद चुनाव लड़ेगी। नार्थ हलके से शिअद की ओर से टिकट के लिए कई दावेदार हैं। इनमें प्रमुख दावेदारों में आरडी शर्मा, विजय दानव और गुरदीप गोशा का नाम हैं। इसके बदले शिअद ने बसपा को रायकोट की सीट दी है। वहां से बसपा चुनाव लड़ेगी। टिकट का समीकरण : आरडी शर्मा : दोनों पार्टियों के वोट पर नजर

शिअद-भाजपा गठबंधन के समय यह सीट भाजपा के पास होती थी। प्रवीण बांसल भाजपा के इस हलके से प्रमुख नेता हैं। पिछले विस चुनाव में वह बगावत के कारण केवल पांच हजार मतों से हारे थे। अगर मदन लाल बग्गा बगावत नहीं करते तो शायद यह सीट भाजपा जीत जाती। इस बार चर्चा है कि बांसल सेंट्रल हलके से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में शिअद अपने वोट बैंक के साथ भाजपा के वोट को भी साथ लाने के लिए आरडी शर्मा पर दांव लगा सकती है। आरडी शर्मा भाजपा छोड़कर शिअद में शामिल हुए हैं। पूर्व डिप्टी मेयर रहे हैं। उन्हें पूर्व मंत्री अनिल जोशी (अमृतसर) का हाथ है। विजय दानव : अनुसूचित जाति के मतदाताओं में अच्छी पकड़

इस हलके में बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के साथ व्यवसायिक मतदाताओं की संख्या काफी है। अगर शिअद टिकट के लिए इसे आधार बनाती है तो विजय दानव की लाटरी लग सकती है। वह वाल्मीकि समाज से हैं। लंबे समय से शिअद से जुड़े हैं। गुरदीप गोशा : युवा व सुखबीर के माने जाते हैं करीबी

शिअद के युवा नेता है। सत्ता पक्ष के नेताओं व कार्यकर्ता से जब भी उलझना होता है तो शिअद में सबसे आगे गुरदीप सिंह गोशा होते हैं। उन्हें सुखबीर का करीबी भी माना जाता है। ऐसे में वह भी प्रबल दावेदारों की दौड़ में शामिल हैं। सलेम टाबरी इलाके में अच्छी पकड़ मानी जाती है। वहीं रहते हैं और कारोबार भी करते हैं। बग्गा की बगावत ने बिगाड़ दिया था भाजपा का खेल : वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के समय शिअद-भाजपा में गठबंधन था। शिअद नेता मदनलाल बग्गा ने बगावत कर दी और आजाद उम्मीदार के तौर पर चुनाव लड़ा। 12,136 मत लेकर बग्गा खुद तो जीत नहीं पाए लेकिन 5,132 मतों से गठबंधन के उम्मीदवार प्रवीण बांसल की हार का कारण भी बन गए। इस बार भी नार्थ की सीट बसपा को देने के बाद बग्गा ने शिअद को छोड़कर आप का दामन थाम लिया है। एक नजर में विस चुनाव 2017

प्रत्याशी मत मत प्रतिशत

राकेश पांडेय (कांग्रेस) 44,864 36.40 फीसद

प्रवीण बांसल (भाजपा) 39,732 32.33 फीसद

राजिदर सीबिया (लिप) 20,387 16.54 फीसद

मदनलाल बग्गा (आजाद) 12,136 9.85 फीसद

हेमराज अग्रवाल (आजाद) 3.011 2.44 फीसद

राजिदर कुमार (बसपा) 1,513 1.23 फीसद


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