अहिसा केवल शब्द नहीं सिद्धांत है : विनय मुनि अलोक
आचार्य भिक्षु का अहिसावादी दर्शन बहुत ही महत्वपूर्ण है जिस व्यक्ति में समर्पण का भाव होता है। सहजता और सरलता होती है वही व्यक्ति कुछ कर गुजरने की क्षमता हासिल कर सकता है।
संस, लुधियाना : आचार्य भिक्षु का अहिसावादी दर्शन बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिस व्यक्ति में समर्पण का भाव होता है। सहजता और सरलता होती है, वही व्यक्ति कुछ कर गुजरने की क्षमता हासिल कर सकता है। आचार्य भिक्षु में यह तीनों ही गुण मौजूद थे। आज देख रहे हैं जैन धर्म का प्रमुख संप्रदाय तेरापंथ है। सनातन आचार्य भिक्षु का लक्ष्य पंथ चलाना नहीं था, पर पंत अपने आप ही चल पड़ा तेरापंथ ने क्रांति दल क्रांति बढ़ते हुए आज जैन समाज में एकमात्र एक आचार्य के निर्देशक में चलने वाला यह तेरापंथ है। इस संघ की अनेकानेक विशेषताएं हैं कोई किसी का शिष्य नहीं, शिष्य सभी आचार्य के होते हैं। उक्त विचार मनीषी संत मुनि श्री विनय कुमार आलोक ने ओमेक्स में भगवान महावीर जयंती पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित धर्म सभा में व्यक्त किए।
उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि महावीर की सब बातें समझ में आती है, लेकिन अहिसा समझ में नहीं आती। अहिसा तो जीवन है दुनिया में सब कुछ अहिसा के लिए तो है। चौराहे पर लाल बत्ती है तो वह अहिसा के लिए है। पुलिस और जज हैं तो वह अहिसा के लिए हैं। लोकसभा और विधानसभा है तो वह और अहिसा के लिए है। अहिसा केवल शब्द नहीं सिद्धांत है और गहरा सिद्धांत है। इस अवसर पर कुलदीप जैन, तरुण जैन आदि श्रावक-श्राविकाओं ने गुरुदेव से आशीर्वाद लिया।