लुधियाना की मंडियों में गेहूं की ढुलाई के लिए श्रमिकों की कमी, आढ़ती व अधिकारी परेशान
लेबर कांट्रैक्टर परमजीत सिंह ने कहा कि उनके पास गिल रोड दाना मंडी बहादुरके रोड दाना मंडी जैसी बड़ी मंडियां है। यहां श्रमिकों की किल्लत होने से दिक्कत बनी हुई है। पिछले साल ट्रेनों का परिचालन होने से लेबर की कमी नहीं थी
लुधियाना, [डीएल डान]। जिले के 207 मंडियों में गेहूं खरीद की तैयारी पूरी होने का दावा खोखला साबित हो रहा है। कारण, मंडियों में गेहूं की ढुलाई और रखरखाव के लिए पर्याप्त लेबर नहीं होने से लेबर कांट्रैक्टर, आढ़ती और फूड सप्लाई अधिकारी परेशान हैं। लेबर कांट्रैक्टर श्रमिकों से संपर्क कर उन्हें यहां लाने के प्रयास में जुटे हैं, लेकिन ट्रेनों का परिचालन कम होने से श्रमिकों की भारी किल्लत है। कांट्रैक्टर बताते हैं कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, नेपाल आदि से श्रमिक मंडियों में काम करने आते थे, लेकिन ट्रेनें सुचारू रूप से नहीं चलने के कारण श्रमिक नहीं आ रहे। कुछ श्रमिक बस से सफर कर लुधियाना पहुंच रहे हैं, लेकिन इसमें उन्हें तीन हजार रुपये किराया देना पड़ रहा है। यही कारण है कि बस से भी कम ही श्रमिक आ रहे हैं।
लाखों रुपये भेजने के बावजूद लेबर की कमी
लेबर कांट्रैक्टर दविंदर सिंह ने बताया कि वे श्रमिकों को वापस लाने के लिए अभी तक लाखों रुपये उनके खाते में भेज चुके हैं, लेकिन श्रमिक मंडी में नहीं पहुंच पा रहे हैं। पिछले साल ट्रेनों का परिचालन होने से लेबर की कमी नहीं थी, लेकिन इस साल कोविड के कारण नाम मात्र ट्रेनें ही चल रही हैं। यही कारण है कि श्रमिक यहां नहीं आ पा रहे। बड़ी
मंडियों में नहीं मिल रही लेबर
लेबर कांट्रैक्टर परमजीत सिंह ने कहा कि उनके पास गिल रोड दाना मंडी, बहादुरके रोड दाना मंडी जैसी बड़ी मंडियां है। यहां श्रमिकों की किल्लत होने से दिक्कत बनी हुई है। मंडियों में लेबर लाने के लिए वे लगातार उनसे संपर्क साथ रहे हैं। लेबर का तर्क है जहां वे पहले 500 रुपये में लुधियाना पहुंच जाते थे, वहीं अब उन्हें तीन हजार रुपये देने पड़ रहे हैं। इतना ही किराया वापसी में देना होगा। ऐसे में उन्हें कोई खास फायदा नहीं होगा।
सरकार बढ़ाए लेबर टेंडर रेट
वर्ष 2020 में जिले के सभी मंडियों में गेहूं खरीद के लिए करीब 6000 लेबर काम कर रहे थे। उस समय श्रमिकों को किराया व अन्य खर्च कम पड़ रहा था, जिससे वे यहां पहुंच गए थे। इस साल अभी तक श्रमिक नहीं मिलने से परेशानी बरकरार है। फिलहाल महज 2000 श्रमिक ही हैं। कांट्रैक्टरों को कहना है कि सरकार लेबर टेंडर रेट में बढ़ोतरी करे तो श्रमिक दोबारा वापस आ सकते हैं।
बातचीत जारी, जल्द होगा समाधान
मंडियों में लेबर की कमी के बारे में जिला फूड सप्लाई अधिकारी सुखविंदर सिंह गिल से बात करने पर उन्होंने कहा कि लेबर की कमी नहीं है। कांट्रैक्टर से बातचीत जारी है जल्द ही समस्या का समाधान हो जाएगा।