Move to Jagran APP

शहरनामाः काश! NGT टीम रोज-रोज आती, बुड्ढा दरिया से फिर आने लगी बदबू

निगम ने NGT टीम के आने से पहले दरिया की कुछ हद तक सफाई कर दी। लोगों को आस बंधी कि शायद अब निगम उनके क्षेत्र से गुजरने वाले दरिया को लेकर गंभीर हो गया है।

By Vikas KumarEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 05:13 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 10:48 AM (IST)
शहरनामाः काश! NGT टीम रोज-रोज आती, बुड्ढा दरिया से फिर आने लगी बदबू
शहरनामाः काश! NGT टीम रोज-रोज आती, बुड्ढा दरिया से फिर आने लगी बदबू

लुधियाना [भूपेंदर सिंह भाटिया]। पिछले दिनों नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की टीम के लुधियाना आने की सूचना मिलते ही निगम अफसरों के पसीने छूट गए। आनन-फानन में पूरी टीम झोंक कर बुड्ढा दरिया के आसपास के क्षेत्र की सफाई की गई। निगम अफसरों को डर था कि एनजीटी टीम कहीं खफा होकर उनके खिलाफ कोई कड़ा एक्शन लेने का फरमान न जारी कर दे। निगम ने टीम के आने से पहले दरिया की कुछ हद तक सफाई कर दी। लोगों को आस बंधी कि शायद अब निगम उनके क्षेत्र से गुजरने वाले दरिया को लेकर गंभीर हो गया है, लेकिन टीम के शहर से निकलते ही सबकुछ फिर बंद हो गया। अफसरों ने चैन की सांस ली। दो दिन बाद ही बुड्ढा दरिया से फिर बदबू उठने लगी। लोग परेशान होने लगे हैं। उनका कहना है कि काश एनजीटी की टीम हमेशा आए तो कम से कम बुड्ढा दरिया की बदबू से निजात तो मिलेगी।

loksabha election banner

आखिर मिल गया डिप्लोमेटिक अफसर

अफसर और वह भी पुलिस वाला। ऐसे अफसरों का खौफ ही बहुत होता है, लेकिन लुधियाना शहर के नए पुलिस कप्तान के काम करने के ढंग से लोग प्रभावित होने लगे हैं। एक दिन पहले उद्यमियों के एक कार्यक्रम में पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल पहुंचे। वहां उद्यमियों ने शहर की लॉ एंड ऑर्डर की समस्याओं को लेकर दनादन सवाल किए। सीपी ने जवाब भी दिए। उद्यमियों का मानना था कि यह डिप्लोमेटिक अफसर हैं। तानाशाही वाले आदेश लागू करवाने की बजाए पहले जनता के जख्म पर हाथ रखते हैं और फिर उनसे ही सुझाव मांग कर काम करते हैं। यदि कोई भी आदेश पब्लिक के एक वर्ग के खिलाफ भी जाए तो कोई कुछ नहीं बोलता। उद्यमियों का कहना है कि आखिर शहर को डिप्लोमेटिक अफसर मिल गया। कुछ का कहना था कि कप्तान साहब तक सीधी पहुंच है, इसलिए कोई अनावश्यक दबाव भी नहीं है। तभी चल रहे हैं।

कॉलोनियां कटती रहीं, अब लोग परेशान

शहर के बाहरी इलाकों में इन दिनों कॉलोनियां काटने का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ज्यादातर कॉलोनाइजर नगर निगम या ग्लाडा के नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं करते हैं। कॉलोनियां काटकर बेचने के बाद कॉलोनाइजर तो कमाकर निकल जाते हैं, लेकिन उसमें मकान खरीदने वाले फंस जाते हैं। अपने जीवन भर की जमापूंजी गंवाने के बाद लोग आधारभूत सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं। ऐसा ही कुछ नजारा ग्यासपुरा के आसपास कटी कॉलोनियों में देखने को मिल रहा है। इन कॉलोनियों पर निगम भी ध्यान नहीं देता और कॉलोनाइजर पास भी नहीं फटकता। कई स्थानों पर तो नगर निगम और ग्लाडा मकानों को ढहा दे रहे हैं। जब कॉलोनाइजर कॉलोनी काटते हैं, तब अफसर नहीं पहुंचते। प्लॉट बिकने के बाद जब वहां निर्माण हो जाता है तो सरकारी अमला उसे ढहाने पहुंच जाता है। काश, प्रशासन इस ओर पहले ध्यान देता तो लोग परेशान न होते।

क्या मंशा है आका की

लंबे समय से भाजपा को जिला प्रधान नहीं मिला। बिना प्रधान के ही पार्टी चल रही है। उम्मीद थी कि नए प्रदेश प्रधान के आते ही उनके गुट के किसी नेता को कुर्सी मिल जाएगी। अश्वनी शर्मा के नए प्रधान बनने के बाद कुर्सी के दावेदार अपनी ताकत दिखाने में कभी पीछे नहीं रहे। भले ही वह प्रदेश प्रधान का पहला लुधियाना दौरा हो या फिर जिले में अपनी ताकत दिखाने का। कई ने तो पैसा फूंकने के साथ खुद को ताकतवर दिखाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके बावजूद अभी तक प्रदेश प्रधान की ओर से कोई संकेत न मिलने से नेता हतोत्साहित हैं। अब वह प्रदेश प्रधान के करीबियों तक पहुंचने की जुगत में हैं। उधर, प्रदेश कमेटी में पहले से ही जमे कुछ भाजपा नेता अपनों को प्रधान के करीब लाने में लगे हैं। नेताओं का कहना है कि पता नहीं हमारे आका की क्या मंशा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.