Move to Jagran APP

चंडीगढ़ में तैयार होते हैं MLA शरणजीत सिंह ढिल्‍लों के कपड़े, कारों के लिए 0006 नंबर का शौक

लुधियाना के पूर्व सांसद और लगातार दूसरी बार विधायक बने शरणजीत सिंह ढिल्लों की उम्र 68 साल हो गई है लेकिन उनका सफेद कुर्ता पजामा और बड़ी-बड़ी आंखें हर किसी को प्रभावित करते हैं। उन्हें गर्मियों में सफेद कुर्ता पजामा और सर्दियों में बंद गले का कोट पहनना पसंद है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 08:48 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 08:48 AM (IST)
चंडीगढ़ में तैयार होते हैं MLA शरणजीत सिंह ढिल्‍लों के कपड़े, कारों के लिए 0006 नंबर का शौक
अपनी कारों के लिए 0006 नंबर को लक्की मानते हैं विधायक ढिल्लाें। (फाइल फाेटाे)

लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। पंचशील विहार स्थित एक बड़ी कोठी के सामने खड़ी चमचमाती पांच कारें और सभी के नंबर 0006। यह कोठी है शिरोमणि अकाली दल के विधायक शरणजीत सिंह ढिल्लों की। छह को लक्की नंबर मानते हैं इसलिए जितनी भी कारें उन्होंने खरीदी, सभी के नंबर 0006 ही लिए। विधायक कहते हैं इसके पीछे कोई खास कारण तो नहीं है लेकिन वर्ष 1983 में जब पहली कार खरीदी थी तो उन्होंने उसका नंबर 0006 लिया था। उस कार ने उनका काफी साथ दिया जिसके बाद लगा कि यह नंबर उनकी कार के लिए लक्की है। बस उसके बाद जो भी कार उन्होंने खरीदी उसका नंबर 0006 ही लिया।
 

loksabha election banner

लुधियाना के पूर्व सांसद और लगातार दूसरी बार विधायक बने शरणजीत सिंह ढिल्लों की उम्र 68 साल हो गई है, लेकिन उनका सफेद कुर्ता पजामा और बड़ी-बड़ी आंखें हर किसी को प्रभावित करते हैं। उन्हें गर्मियों में सफेद कुर्ता पजामा और सर्दियों में बंद गले का कोट पहनना पसंद है। यह सब चंडीगढ़ के निजाम टेलर्स से ही तैयार करवाते हैं। ढिल्लों कहते हैं कि कालेज के समय से वह निजाम के तैयार किए ड्रेस ही पहनते हैं। कभी भी बिना तैयार हुए सुबह अपने कमरे से नहीं निकलते हैं।

शिअद के यूथ विंग के प्रधान रहते हुए उन्होंने पंजाब में अपनी अलग पहचान बनाई थी। मंच से दमदार आवाज में भाषण देना और उसके बाद सब के साथ अपनापन जताना उनके स्वभाव में शुमार है। ढिल्लों समय निकालकर पिता के भी करीबियों से भी मिलते हैं। खुली दाढ़ी और ऊपर की ओर उठी मूंछें उनके व्यक्तित्व को चार चांद लगाते हैं।

सेहत पर काफी ध्यान देते हैं ढिल्लों

विधायक ढिल्लों को एक बार आपरेशन भी करवाना पड़ा। वे अपनी सेहत पर काफी ध्यान देते हैं। व्यस्त होने के बावजूद सुबह या शाम को एक घंटा सैर जरूर करते हैं। सुबह से शाम तक पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं और वर्करों के बीच रहते हैं लेकिन इसके साथ परिवार के लिए भी समय निकालते हैं। रात का खाना परिवार के साथ ही खाते हैं। पोते मेहराब सिंह ढिल्लों को बहुत प्यार करते हैं। उसकी बात को कभी नहीं टालते हैं। हर व्यक्ति को जीवन में मनचाही मुराद नहीं मिलती। ढिल्लों भी इससे वंचित नहीं रहे। राजनीतिक गतिविधियों से चर्चा में आए ढिल्लों को उम्मीद थी कि वर्ष 1997 में विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिलेगी लेकिन तत्कालीन पार्टी प्रधान प्रकाश सिंह बादल ने उन्हें मैदान में नहीं उतारा। चंडीगढ़ से लुधियाना तक के ढाई घंटे के सफर को उन्होंने छह घंटे में पूरा किया।

2004 में लुधियाना से जीता था लाेकसभा चुनाव

रास्ते में यही सोचते रहे कि उनमें क्या खामी थी जिस कारण उन्हें नकार दिया गया। फिर भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। वर्ष 2002 में लुधियाना देहाती का इंचार्ज होने के कारण एक बार फिर दावेदारी पेश की लेकिन इस बार भी उन्हें टिकट नहीं मिला। मायूस तो हुए लेकिन पिता समान बादल से कोई विरोध नहीं जताया। आखिरकार पार्टी नेतृत्व के प्रति निष्ठा और समर्पण का फल वर्ष 2004 में अचानक मिला जब पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में लुधियाना से उम्मीदवार बना दिया। इस चुनाव में उन्होंने जीत भी दर्ज की।

शुगर के मरीज हैं लेकिन आम से परहेज नहीं
विधायक ढिल्लों अपने खानपान का बहुत ध्यान रखते हैं। खाने में हरी सब्जियां अधिक पसंद हैं। शूगर के मरीज हैं लेकिन आम से परहेज नहीं करते हैं। ढिल्लों हंसते हुए कहते हैं कि जिस दिन आम खा लेता हूं तो दूसरी चीजों से परहेज कर डाइट बैलेंस कर लेता हूं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.