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सरकारी विभागों के पास इंडस्ट्री का दो हजार करोड़ रुपये बकाया

कोविड-19 संक्रमण के चलते इन दिनों बाजार में नकदी का संकट है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 07:10 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 07:10 PM (IST)
सरकारी विभागों के पास इंडस्ट्री का दो हजार करोड़ रुपये बकाया
सरकारी विभागों के पास इंडस्ट्री का दो हजार करोड़ रुपये बकाया

मुनीश शर्मा, लुधियाना

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कोविड-19 संक्रमण के चलते इन दिनों बाजार में नकदी का संकट है। लोगों के पास पैसे की कमी के चलते जहां खरीदारी को लेकर रूझान कम हुआ है, वहीं अब इंडस्ट्री को वित्तीय संकट के दौर में इन दिनों पैसे की किल्लत झेलनी पड़ रही है। न तो मार्केट से पेमेंट्स आ रही हैं और न ही सरकार की ओर से कोई राहत दी गई है। केंद्र सरकार ने लोन देने के लिए फंड जारी किए हैं। लेकिन इंडस्ट्री का तर्क है कि अगर लोन ही लेना है, तो पहले से लिए गए लोन का भुगतान कैसे करेंगे। ऐसे में अब इंडस्ट्री के लिए सरकारी विभागों के पास रुकी पेमेंट्स में हुई देरी भी बड़ी परेशानी बन रही है। इंडस्ट्री का कहना है कि अगर सरकारी विभाग इंडस्ट्री का पैसा लौटा दे तो बड़ी राहत मिल सकती है। उन्होंने बताया कि वैट, जीएसटी, डिफेंस, पावरकॉम, साइकिल टेंडर और कई सेक्टरों का पैसा रुका हुआ है। लुधियाना उद्योग की बात करें, तो विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है, अगर मिल जाए, तो इंडस्ट्री को बड़ी राहत मिलेगी। इंडस्ट्री को इन दिनों वित्तीय संकट के चलते भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक विभिन्न विभागों के पास इंडस्ट्री का दो हजार करोड़ रुपये बकाया है। इसमें वैट, जीएसटी, डिफेंस, पॉवरकॉम, साइकिल टेंडर सहित विभिन्न सेक्टर शामिल है। इन विभागों को तत्काल पेमेंट्स जारी करने चाहिए। इससे इंडस्ट्री को राहत मिलेगी।

बदीश जिंदल, प्रधान, ऑल इंडस्ट्री ट्रेड फोरम यह समय बेहद कठिन है। कम खपत और प्रोडक्शन कम होने के बावजूद इनपुट कॉस्ट अधिक है। मार्केट से पेमेंट्स डिले (लंबित) है और बात सरकारी विभागों की करें, तो स्टील इंडस्ट्री का रेलवे के पास ही 200 करोड़ रुपये का बकाया है। अगर बकाया समय से मिल जाए तो बैंक के ब्याज के रूप में जाने वाली रकम को कम किया जा सकता है।

केके गर्ग, प्रधान, इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन बात अगर साइकिल टेंडर्स की करें तो इंडस्ट्री के केवल आंध्रा प्रदेश पर 102 करोड़ रुपये और राज्यस्थान पर 33 करोड़ रुपये का बिल बकाया है। वहीं बात अगर जीएसटी की करें तो 100 करोड़ रुपये साइकिल इंडस्ट्री का पेंडिग पड़ा है। इस समय हमें हमारी पेमेंट्स ही सरकार समय पर दे दे तो उद्योग को काफी राहत मिलेग सकेगी।

केके सेठ, एमडी, नीलम साइकिल लुधियाना के उद्योग का वैट का करीब 350 करोड़ रुपये पेंडिग है। साथ ही पावरग्रिड, एनटीपीसी सहित कई पब्लिक सेक्टर में पैसे बकाया है। वैट रिफंड के लिए अगर किसी के सी फार्म या अन्य कोई त्रुटि है, तो इसे वन टाइम सेटलमेंट के आधार पर समाप्त किया जाए। वैट प्रक्रिया बंद हुए भी तीन साल बीत गए है। सरकारी विभाग बकाया देना शुरू करे तो इंडस्ट्री को ऑक्सीजन मिल जाएगी।

राजन गुप्ता, प्रधान, फोकल प्वाइंट एसोसिएशन फेज-4ए।


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