51 करोड़ के 515 विकास कार्यो को खंगालेगी विजिलेंस
सचिन आनंद, खन्ना 19 मई को मोहाली विजिलेंस द्वारा 50 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए खन्ना
सचिन आनंद, खन्ना
19 मई को मोहाली विजिलेंस द्वारा 50 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए खन्ना के आरटीआई एक्टिविस्ट रमनदीप ¨सह आहलुवालिया के मामले में विजिलेंस और ज्यादा गहराई में जाकर कई और परतों को उधेड़ने में जुट गई है। इसी के चलते विजिलेंस द्वारा कौंसिल की एमई शाखा का पिछले दो साल का रिकार्ड मांगा गया है। इसके बाद विजिलेंस इस समय के दौरान हुए खन्ना शहर के 51 करोड़ की लागत वाले 515 विकास के कामों को स्कैन कर आहलुवालिया व अन्य आरटीआई एक्टिविस्टों के नेक्सस को समझने की कोशिश करेगी।
गौरतलब है कि विजिलेंस को आहलुवालिया से पूछताछ में खन्ना नगर कौंसिल के अधिकारियों, ठेकेदारों और पार्षदों के इस नेक्सस में शामिल होने के संकेत मिले थे। इसके चलते विजिलेंस की टीम आहलुवालिया को लेकर मंगलवार को खन्ना आई थी। यहां आहलुवालिया को बाहर कार में बिठाकर विजिलेंस अधिकारी कौंसिल दफ्तर गए और अधिकारियों से पूछताछ की। विजिलेंस ने वीरवार को कौंसिल के अधिकारियों एमई राजीव कुमार, एएमई सु¨रदर कुमार सेतिया और एसओ जसवंत ¨सह को मोहाली विजिसेंस दफ्तर पहुंचने के आदेश दिए थे।
बताया जाता है कि विजीलेंस ने एक अप्रैल 2016 से लेकर अब तक खन्ना नगर कौंसिल द्वारा लगाए गए विकास के कामों के टेंडरों की सूची भी मांगी है। इसमें यह भी मांगा है कि किस ठेकेदार ने कौन सा काम लिया और किस ठेकेदार को इस समय के दौरान कितनी पेमेंट हुई है। इस रिकार्ड को तैयार करने में बुधवार को एमई और अकाउंट शाखा का विभाग जुटा रहा। बताते हैं कि इस सूची में 51 करोड़ के कुल 515 विकास के काम हैं। ठेकेदारों से भी हो सकती पूछताछ
सूत्रों के अनुसार विकास के काम की सूची मिलने के बाद विजिलेंस अधिकारी इसकी बारीकी से पड़ताल करेंगें और इसे लेकर कौंसिल के कुछ ठेकेदारों से भी पूछताछ हो सकती है। बताते हैं कि विजिलेंस को पता चला है कि विकास के काम के बदले में कुछ आरटीआइ एक्टिविस्टों को कमीशन बांटी जाती थी। विजिलेंस ने इसकी जांच के लिए काम की सूची मांगी है ताकि टेंडर लेने वाले ठेकेदारों से पूछताछ कर मामले की तह तक पहुंचा जा सके। वर्क ऑर्डर पर ही बंट जाती थी मलाई
सूत्र बताते हैं कि विकास के कामों के टेंडर लगने के बाद जैसे ही काम शुरू करने के लिए वर्क ऑर्डर ठेकेदारों को जारी होते थे, तभी आरटीआइ एक्टिविस्टों को एडजस्ट करने के नाम पर एक फीसद मलाई बंट जाती थी। बताते हैं कि यह गोरखधंधा भी विजिलेंस की नजर में है। बताया गया है कि जो ठेकेदार यह एडजस्टमेंट मनी नहीं देता था, उसके खिलाफ आरटीआइ और शिकायतों का दौर शुरू हो जाता था।