कांग्रेस के लिए सत्ता और अकाली-भाजपा के लिए साख बचाने की चुनौती
पंजाब सरकार ने प्रदेश में नगर कौंसिल चुनाव की घोषणा कर दी है। 14 फरवरी को मतदान और 17 फरवरी को मतगणना होगी। खन्ना नगर कौंसिल भी इसमें शामिल है।
सचिन आनंद, खन्ना : पंजाब सरकार ने प्रदेश में नगर कौंसिल चुनाव की घोषणा कर दी है। 14 फरवरी को मतदान और 17 फरवरी को मतगणना होगी। खन्ना नगर कौंसिल भी इसमें शामिल है। 2015 में हुए खन्ना नगर कौंसिल चुनाव में बहुमत से थोड़ा पिछड़ने के बावजूद कांग्रेस सत्ता पर काबिज होने में सफल रही थी। हालांकि हर चुनाव अपनी नई दास्तां लेकर आता है। इस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी प्लेयर के रूप में दिख रही है तो अकाली-भाजपा गठबंधन में टूट का असर भी दिखेगा। कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए सत्ता तो अकाली-भाजपा के लिए साख बचाने की चुनौती है।
साल 2015 के चुनाव में खन्ना के कुल 33 वार्डों में से कांग्रेस ने 14, अकाली-भाजपा ने 11 वार्डों में जीत हासिल की थी। इसमें अकाली दल ने छह और पांच भाजपा ने जीते थे। आठ वार्डों पर आजाद उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में कांग्रेस ने आजादों के साथ जोड़-तोड़ के साथ अपना प्रधान बना लिया। उस वक्त विकास मेहता खन्ना नगर कौंसिल के प्रधान बने।
इस बार कांग्रेस में कलह
पिछली बार खन्ना कांग्रेस ने एकजुट होकर कौंसिल चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार स्थितियां अलग हैं। आधा दर्जन से अधिक पार्षद पार्टी से नाराज चल रहे हैं। हालांकि उन्होंने टिकटों के लिए आवेदन किया है, लेकिन पार्टी को इसका नुक्सान कहीं ना कहीं उठाना पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार शहर के 33 वार्डों से करीब 60 दावेदारों ने टिकट के लिए आवेदन किया है। ऐसी स्थिति में बागियों पर नियंत्रण कर दोबारा सत्ता की डोर हासिल करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा।
अकाली-भाजपा में टूट, कांग्रेस को लाभ
अकाली-भाजपा ने पिछली बार मिलकर चुनाव लड़ा था तो 11 वार्डों में जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार गठबंधन में टूट है। दोनों दलों के लिए पहले तो 33-33 वार्डों में उम्मीदवार उतारना ही किसी जंग से कम नहीं है। इसके बाद भी दोनों दलों के वोटों के विभाजन का लाभ भी कांग्रेस को मिल सकता है।
आम आदमी पार्टी की भी दस्तक
आम आदमी पार्टी इस बार पहली दफा नगर कौंसिल चुनाव में दस्तक दे रही है। 2017 विधानसभा चुनाव में खन्ना विधानसभा से आप दूसरे स्थान पर रही थी। ऐसे में उसे इस लड़ाई से दरकिनार नहीं किया जा सकता। अब आप इस चुनाव में किस का खेल बिगाड़ेगी, यह भविष्य ही बता सकता है। पिछली बार आठ उम्मीदवार आजाद जीते थे। इस बार आजाद उम्मीदवारों पर भी नजर रहेगी।