बिना वेतन के आर्थिक तंगी के दौर में कौंसिल के कर्मचारी
खन्ना नगर कौंसिल इन वक्त भारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है।
सचिन आनंद, खन्ना: खन्ना नगर कौंसिल इस वक्त भारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। बड़े-बड़े विकास के दावे कर रहे नेताओं के लिए यह हालात आईना दिखाने वाले हैं कि दीवाली के एक माह बाद भी वेतन नहीं मिलने के कारण कौंसिल कर्मियों की दीवाली काली ही है। महीने के आखिर में आई दीवाली से पहले वेतन मिलने की आस लगाए बैठे स्टाफ को एक महीने बाद भी अक्टूबर माह का वेतन नहीं मिल पाया है।
खन्ना नगर कौंसिल के पक्के और कच्चे अधिकारियों और कर्मचारियों का कुल मासिक वेतन करीब 1 करोड़ तीस लाख बनता है। नगर कौंसिल को प्रॉपर्टी टैक्स, सीवरेज और वाटर सप्लाई समेत कईं मदों से आय होती है, लेकिन प्रमुख आय का साधन पंजाब सरकार की तरफ से आने वाला जीएसटी ही होता है। लेकिन, जीएसटी लागू होने के बाद इसकी अनियमितता ने खन्ना नगर कौंसिल की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ दिया है। जीएसटी के बिना संभव नहीं वेतन
बिना जीएसटी की किश्त के खन्ना नगर कौंसिल में कर्मचारियों को वेतन देना संभव नहीं है। नगर कौंसिल के पास हर माह डेढ़ करोड़ से ज्यादा जीएसटी आता है और कौंसिल का कुल वेतन ही 1 करोड़ 30 लाख प्रति माह है। कौंसिल के पास जीएसटी की आखिरी किस्त सितंबर माह में आई थी। इससे सितंबर माह का वेतन दे दिया गया। अक्टूबर और नवंबर में जीएसटी नहीं मिला और अक्टूबर माह का वेतन नहीं दिया जा सका। पांच दिन बाद ही नवंबर माह का वेतन भी पेंडिग हो जाएगा। अगर जीएसटी नहीं मिला तो हालात और भी बदतर होने वाले हैं। वेतन नहीं मिला तो विकास कैसे होगा
आर्थिक संकट के इस दौर में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर नगर कौंसिल की तरफ से वेतन ही नहीं दिया जा रहा तो आने वाले दिनों में शहर के विकास के लिए पैसे कहां से आएंगें। कौंसिल की करोड़ों रूपए की ठेकेदारों की देनदारी है। इसके अलावा शहर में कूड़ा उठाने का काम करने वाली एटूजेड कंपनी के भी लाखों रूपए के बिल पेंडिग है। पैसा नहीं आया तो बाकी काम भी प्रभावित हो सकते हैं।
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सरकार ने नहीं दिया पैसा : मेहता
खन्ना नगर कौंसिल के प्रधान विकास मेहता ने कहा कि वे मजबूर हैं। बिना जीएसटी के वेतन नहीं दिया जा सकता। 27 अक्टूबर को दीवाली थी। उन्होंने सोचा था कि अक्टूबर का वेतन एक सप्ताह एडवांस में दे देंगें। लेकिन, सरकार की तरफ से पैसा नहीं आया। पूरे पंजाब की नगर कौंसिलों का ही जीएसटी पेंडिग है। केंद्र सरकार की तरफ से भी पंजाब सरकार को उसके हिस्से का जीएसटी नहीं भेजा जा रहा। इस कारण समस्या आ रही है।