धान की फसल तैयार, लगातार बारिश नुकसानदेह
प्रदेश भर में साढ़े तीस लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई है। शनिवार को सूबे भर में हुई तेज बारिश व हवाओं ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं। धान के खेतों में जरूरत से अधिक पानी खड़ा हो गया। इतना ही नहीं कुछ हिस्सों में बारिश व तेज हवाओं से धान की फसलें गिर गई।
बिंदु उप्पल, जगराओं
प्रदेश भर में साढ़े तीस लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई है। शनिवार को सूबे भर में हुई तेज बारिश व हवाओं ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं। धान के खेतों में जरूरत से अधिक पानी खड़ा हो गया। इतना ही नहीं कुछ हिस्सों में बारिश व तेज हवाओं से धान की फसलें गिर गई। धान की फसल गिरने व लगातार अधिक जड़ में पानी खड़ा होने से फसल की क्वालिटी व उत्पादन पर असर होने की संभावना है।
50 एकड़ में धान की खेती करने वाले गाव चक्र के किसान बूटा सिंह चक्कर का कहना है कि बारिश ने उनके लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
उनका कहना है कि पिछले सातवें महीने भी तेज बारिश के कारण धान की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई थी, जिसके बाद किसानों ने दोबारा धान की रोपाई की थी, लेकिन अब धान पकने के अंतिम पड़ाव पर है, लेकिन अब बारिश अगर लगातार हो गई तो किसानों को भारी नुकसान होने की संभावना है। किसान यादविंदर सिंह व किसान गुरसेवक सिंह का कहना है कि अब खेतों में खड़ी धान की फसल के लिए अधिक पानी की जरूरत नहीं है। अगर बारिश होती रही तो धान की फसल को नुकसान होगा। अब उन दोनों के खेतों में 10 प्रतिशत बारिश व तेज हवाओं के कारण फसल बिछ गई है जिसका नुकसान सहन करना पड़ेगा। क्या कहना है माहिरों का
खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ.बलदेव सिंह नारथ का कहना है कि अगर लगातार बारिश के साथ तेज हवाएं चलीं तो धान की फसल को बहुत नुकसान हो सकता है। उन्होंने बताया कि धान की अगेती किस्मों पीआर 126,पीआर 121,पीआर 124 की कटाई शुरू होने वाली है और उनको अब धूप की जरूरत है, लेकिन इन दिनों बारिशों के कारण रात के तापमान में बहुत गिरावट हुई है और नमी की मात्रा बढ़ी है। इतना ही नहीं जिन खेतों में पेड़ किनारों पर लगे हैं वहा पर बारिश व हवाओं से फसल पूरी तरह गिरी हैं जिससे किसानों को नुकसान हुआ है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि इन दिनों धान की फसल को खुद पानी न लगाएं और स्प्रे भी न करें। खाद भी जरूरत से अधिक न डालें। ब्लॉक कृषि अधिकारी डॉ.बलविंदर सिंह ने कहा कि अगर फिर लगातार बारिश रही तो जहा निम्न स्तर पर जो फसल है वहा पर पानी अधिक खड़ा होगा तो नुकसान देह है।