पीएसपीसीएल से लुधियाना इंडस्ट्री परेशान, कैटागिरी का सहारा लेकर लगाए जा रहे भारी भरकम जुर्माने
लुधियाना में पीएसपीसीएल विभाग की ओर से इंडस्ट्री को भारी भरकम जुर्माने लगाकर परेशान किया जा रहा है। इंडस्ट्री में कई तरह के प्रोसेस काम करते हैं ऐसे में बिजली के इस्तेमाल की कैटागिरी को लेकर क्लीयरिटी न होने के चलते इंडस्ट्री परेशान है।
लुधियाना [मुनीश शर्मा]। ईज आफ डुइंग बिजनेस का कांसैप्ट लेकर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार चुनावी सीजन में भी इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी परेशानी का कारण बनी हुई है। औद्योगिक नगरी लुधियाना में पीएसपीसीएल विभाग की ओर से इंडस्ट्री को भारी भरकम जुर्माने लगाकर परेशान किया जा रहा है। इंडस्ट्री में कई तरह के प्रोसेस काम करते हैं, ऐसे में बिजली के इस्तेमाल की कैटागिरी को लेकर क्लीयरिटी न होने के चलते इंडस्ट्री परेशान है। पीएसपीसीएल विभाग की ओर से कैटागिरी का सहारा लेकर इंडस्ट्री को भारी भरकम जुर्माने लगाए जा रहे हैं। इसको लेकर इंडस्ट्री परेशान है और ईज आफ डुइंग बिजली की धज्जियां उड़ने की बात उद्योगपति कह रहे हैं।
इलेक्ट्रोप्लेटिंग एवं इंडक्शन इंडस्ट्री को पावर इंसेटिव यूनिट में अनआथोराइजड यूज आफ इलेक्ट्रीसिटी (यूयूई) के नोटिस भेजे जा रहे हैं। इसमें पांच हजार प्रतिशत तक के जुर्माने किए जा रहे हैं। यूसीपीएमए के महासचिव मनजिंदर सिंह सचदेवा ने कहा कि हीट इंडक्शन ट्रीटमेंट उद्योग के साथ इलेक्ट्रोप्लेटिंग औद्योगिक इकाइयों पर पावर इंटेंसिव यूनिट कैटेगरी के तहत यूयूई अनऑथॉरिजेड यूज ऑफ इलेक्ट्रिसिटी लागू किया गया है।
उन्होंने कहा कि उद्योग विशेष रूप से एमएसएमई इकाईयां पहले से ही अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। क्योंकि कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगाने के लिए लगाए गए लॉकडाउन और कर्फ्यू के कारण हुए नुकसान के कारण, संकट की इस घड़ी में उद्योग जगत को सरकार से मदद की जरूरत है। भोगल एमएस भोगल एडं संस के एमडी अवतार भोगल के मुताबिक सरकार और विभागों को इंडस्ट्री को फ्रेंडली माहौल देना चाहिए। आज मशीनों के तौर तरीके बदल गए है और कानून कई सालों पुराने चल रहे हैं। इससे इंडस्ट्री आज के जमाने की मशीनों को चलाने के दौरान विभागीय कार्रवाई का हिस्सा बन रही है। गुरचरण सिंह जैमको ने कहा कि पहले ही इंडस्ट्री कोविड के चलते परेशान है और प्रोडक्शन लगातार गिर रही है और ऐसे में पांच हजार प्रतिशत तक के जुर्माने राहत की बजाए आफत पैदा कर रहे हैं।