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घास मंडी.. जहां कभी खरीदी जाती थी घोड़ों की खुराक, आज बिकती हैं शॉलें Ludhiana News

घास मंडी के नाम से प्रचलित यह मार्केट अब पूरी तरह से शॉल्स मार्केट का गढ़ बन चुकी है। यहां 80 के करीब दुकानें हैं।

By Vikas KumarEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 12:12 PM (IST)Updated: Fri, 29 Nov 2019 03:06 PM (IST)
घास मंडी.. जहां कभी खरीदी जाती थी घोड़ों की खुराक, आज बिकती हैं शॉलें Ludhiana News
घास मंडी.. जहां कभी खरीदी जाती थी घोड़ों की खुराक, आज बिकती हैं शॉलें Ludhiana News

लुधियाना, [राधिका कपूर]। शहर में पुराने वक्त में उत्पादों की जरूरत के अनुसार थोक माल के बाजार बने। समय के साथ शहर के व्यापार का स्वरूप बदला और साथ ही बदल गयी दुकानों की रूपरेखा। यदि नहीं बदला तो वो है कुछ बाजारों का नाम। ऐसा ही एक उदाहरण है, घास मंडी। हालांकि अब एक ही बाजार में अनेक तरह के कारोबार होते हैं लेकिन पुराने बाजारों में अधिकांश एक ही वस्तु का काम होता था और उन्हें उसी के नाम से जाना जाता था। वही नाम आज भी प्रचलित हैं, भले ही वहां पर नाम के अनुसार उत्पाद नहीं बिक रहे। मसलन आज दाल बाजार में दाल नहीं, चावल बाजार में चावल नहीं, साबुन बाजार में साबुन नहीं मिलते, उसी तरह घास मंडी में घास नहीं है। कभी घास की बिक्री के केंद्र के रूप पर प्रख्यात घास मंडी अब शॉल की बिक्री का प्रमुख सेंटर बन गया है। यहां पर शॉल के व्यापारियों का दबदबा है।

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शाम के समय मार्केट में सजती थी घास
बात अगर 20वीं सदी के आठवें दशक की करें तो घास मंडी में घर और दुकानें थीं। शाम के समय इसी मार्केट में घास सजा करती थी। यातायात का साधन तब केवल घोड़ा-टांगा था जोकि रेलवे स्टेशन से कोतवाली होते हुए पुरानी चुंगी तक जाता था। टांगा चालक इस घास मंडी से घोड़ों की खुराक खरीदते थे। तभी से इस जगह का नाम ही घास मंडी पड़ गया था। घास मंडी के नाम से प्रचलित यह मार्केट अब पूरी तरह से शॉल्स मार्केट का गढ़ बन चुकी है। यहां 80 के करीब दुकानें हैं। आज की युवा पीढ़ी ‘घास मंडी’ का नाम आते ही समझ जाती है कि शॉल मार्केट की बात हो रही है, लेकिन यह नाम क्यों है इसे जानते कम ही लोग हैं।


घास मंडी वही, चीजें नयी
घास मंडी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट चंद्रशेखर मोंगा बताते हैं कि एक समय था जब वह इस मार्केट में घास देखते थे और टांगे वाले यहां से घास खरीदते थे। समय के साथ आये बदलाव में अब घास मंडी तो वही है पह यहां घास नहीं शॉल व अन्य वूलेन बिकते हैं।


शॉलों का गढ़ है यह
एसोसिएशन के महा सचिव सतविंदर नाथ अग्रवाल के अनुसार पहले घास मंडी में घर और कुछ दुकानें ही थीं। अब यह बहुत बड़ी मार्केट बन गई है जो पूरी तरह शॉलों का गढ़ बन गई है। यहांं देश के कई राज्यों से कारोबारी शॉल की खरीदारी की लिए आते हैं।

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