Protest In Ludhiana: लुधियाना के उद्यमियाें का धरना जारी, बाेले-बेलगाम महंगाई ने इंडस्ट्री का निकाला दिवाला
Protest In Ludhiana इंडस्ट्रियलिस्ट्स का रोष इस बात को लेकर है कि कई ट्रेड में स्टील का इस्तेमाल होने के कारण कच्चे माल यानि रॉ-मटीरियल के रेट बढ़ने की वजह से उनके प्रोडक्ट्स की लागत बढ़ी। मजबूरन प्रोडेक्ट्स के रेट बढ़ाए तो रिटेलर-खरीदार ऑर्डर कैंसिल करने लगे।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। Protest In Ludhiana: देश में खुशियों वाले सबसे बड़े त्यौहार दीवाली पर हर कारोबारी, इंडस्ट्री या कंपनी से जुड़े सैकड़ों-हजारों वर्करों को त्यौहार के शगुन की आस होती है। जाहिर तौर पर त्यौहार पर अच्छी कमाई होती थी, तो कारोबारी भी खुश होकर अच्छे तरीके से शगुन देने की रस्म निभाते थे। मौजूदा हालात ये हैं कि पहले कोरोना महामारी ने इंडस्ट्री की कमर तोड़कर रख दी, अब रही-सही कसर सरकार पूरी कर रही है। स्टील इंडस्ट्री इसकी सबसे बड़ी मिसाल है, जहां कच्चे माल के रेट मनमाने तरीके से बढ़ा दिए गए। वजह साफ है कि रेट तय करने के लिए कोई रेगुलेटरी कमेटी तक नहीं है। नतीजा सामने है, महंगाई की मार से बेहाल इंडस्ट्रियल सिटी लुधियाना में कारोबारी धरने पर बैठे हैं। दीवाली पर शहर के गिल रोड पर यूसीपीएमए भवन के सामने धरने पर बैठे इन कारोबारियों की सुध लेने को सरकार के नुमाइंदे राजी नहीं है।
इंडस्ट्रियलिस्ट्स का रोष इस बात को लेकर है कि कई ट्रेड में स्टील का इस्तेमाल होने के कारण कच्चे माल यानि रॉ-मटीरियल के रेट बढ़ने की वजह से उनके प्रोडक्ट्स की लागत बढ़ी। मजबूरन प्रोडेक्ट्स के रेट बढ़ाए तो रिटेलर-खरीदार ऑर्डर कैंसिल करने लगे। ऐसे में बेलगाम होते पैट्रोल-डीजल के रेट, महंगी बिजली, बढ़ते टैक्स जैसी चौतरफा मार झेल रहे कई इंडस्ट्रियलिस्ट मजबूरन अपनी यूनिटें तक बंद करने की सोचने लगे। उद्यमियों ने कहा कि देश में कच्चे माल यानि रॉ-मटीरियल की सप्लाई देने वाले आखिर सरकार की इजाजत के बिना कैसे मनमाने तरीके से अपने माल के भाव बढ़ा लेते हैं। जबकि इंडस्ट्री को अपने प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ाने के लिए तमाम प्रक्रियाओं से गुजरना होता है, उसके कारण बताने होते हैं।
पेट्रो-कंपनियां मनमाने तरीके से रोज रेट बढ़ा रही हैं और सरकार खामोश है। नतीजे के तौर पर इंडस्ट्री समेत समाज का हर वर्ग प्रभावित हो रहा है। कमाई घटने और खर्चे बढ़ने से इंडस्ट्री भी अपने वर्करों के वेतन चाहकर भी नहीं बढ़ा पा रही है। ऐसे में अकेले इंडस्ट्री से ही जुड़े लाखों-करोड़ों वर्कर कम वेतन में महंगा पैट्रोल, राशन और दूसरी जरुरी चीजें खरीदने को मजबूर है। उनकी नजर में वेतन नहीं बढ़ाने वाले इंडस्ट्री मालिक विलेन की भूमिका में हैं। सरकार को तत्काल स्टील अथॉरिटी का निर्माण करना चाहिए, ताकि इंडस्ट्री को राहत मिल सके।