लुधियाना में भारी अव्यवस्था के बीच वैक्सीनेशन, 15 से 18 साल के सैकड़ाें किशाेर बिना टीकाकरण किए बैरंग लाैटे
किशोरों की वैक्सीनेशन को लेकर बनाए सेंटरों पर वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचे व्यस्कों यानी की 18 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की भारी भीड़ थी। सेंटर में किशोरों के लिए न तो अलग से लाइन थी और न ही सेंटर के अंदर वैक्सीनेशन के लिए अलग टीमें।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। ओमिक्रोन के बढ़ते खतरे के बीच आखिरकार जिले 15 से 18 वर्ष तक के किशोरों की वैक्सीनेशन भी शुरू हो गई। जिले में किशोरों की वैक्सीनेशन को लेकर 13 सेंटर बनाएं गए थे। वैक्सीनेशन को लेकर किशोरों में गजब का उत्साह दिखा। सेहत विभाग की तरफ से वैक्सीनेशन के लिए दिए गए समय पर ही किशोर अपने अभिभावकों को साथ लेकर वैक्सीनेशन सेंटरों पर पहुंच गए थे, लेकिन सेंटरों पर पहुंचते ही किशोरों का जोश ठंडा पड़ गया और वैक्सीनेशन करवाकर कोरोना से लड़ने का जज्बा मायूसी में बदल गया। मजबूरी में सैकड़ों किशोरों को वापस लौटना पड़ा।
कारण, सेहत विभाग की ओर से किशोरों की वैक्सीनेशन को लेकर बनाए सेंटरों पर वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचे व्यस्कों यानी की 18 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की भारी भीड़ थी। सेंटर में किशोरों के लिए न तो अलग से लाइन थी और न ही सेंटर के अंदर वैक्सीनेशन के लिए अलग टीमें। जो टीम बड़ों को वैक्सीन लगा रही थी,उन्हीं के जिम्मे किशोरों की वैक्सीनेशन भी थी। किशोरों को व्यस्कों के साथ ही भीड़ में खड़े होकर वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर होना पड़ा। जबकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण की तरफ से 28 दिसंबर को जारी की गई गाइडलाइन में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि जिला अधिकारियों को किशोरों के टीकाकरण के लिए समर्पित सत्र स्थलों (अर्थात निर्धारित कोविड वैक्सीनेशन टीकाकरण केंद्र) की पहचान करनी चाहिए।
यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि टीके का कोई मिश्रण नहीं न हो। इसलिए, अलग से वेैक्सीनेशन साइटस की पहचान की जानी चाहिए। यदि पहचाना गया सत्र स्थल वहीं है, जहां व्यस्कों का टीकाकरण भी चल रहा है, तो उचित और प्रमुख संकेतों के साथ अलग कतार और अलग टीकाकरण टीम का उपयोग किया जाना चाहिए। लेकिन, सेहत विभाग की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन को बिलकुल गंभीरता से नहीं लिया गया। ऐसे में ज्यादातर बच्चों को तो अभिभावक भीड़ देखकर ही सेंटर से वापस ले गए। अभिभावकों का कहना था कि जिस तरह से भारी भीड़ है, उससे वैक्सीन लगेंगे या नहीं लगेंगे, यह कह पाना मुश्किन हैं। लेकिन, कोरोना संक्रमण की चपेट में बच्चे जरूर आ जाएंगे। भीड़ और अव्यवस्था के कारण ही जिले में पहले दिन 13 वैक्सीनेशन सेंटरों पर महज 198 किशोरों को ही वैक्सीन लग पाई।
वैक्सीनेशन का समय सुबह साढ़े नौ बजे था, शुरू हुई दस बजे के बाद
सेहत विभाग की ओर से दिए गए शेडयूल के मुताबिक सेंटरों पर किशोरों की वैक्सीनेशन सुबह साढ़े नौ बजे शुरू होनी थी। सिटी में आठ जगहों पर किशारों की वैक्सीनेशन हुई। दैनिक जागरण की टीम ने जब शहर में बनाएं गए वैक्सीनेशन सेंटरों का दौरा किया, तो आठ में छह सेंटरों पर सुबह दस बजे के बाद वैक्सीनेशन शुरू हुई। अर्बन कम्यूनिटी हेलथ सेंटर जवद्दी में किशोरों की वैक्सीनेशन सुबह 11. 45 बजे शुरू हुई।
चीफ गेस्ट के इंतजार में किशोंरों को घंटों इंतजार करवाया गया। एडीसी डा. नयन ग्यारह बजे और पार्षद ममता आशु साढ़े ग्यारह बजे अस्पताल में पहुंची। जिसके बाद बच्चों वैक्सीनेशन शुरू हुई। इस दौरान करीब बीस से अधिक किशोर सुबह साढे आठ बजे से बैठे हुए थे। दूसरी तरफ अर्बन कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर सुभाष नगर में सुबह साढे़ दस बजे तक स्टाफ को पता ही नहीं था कि किशोरों की वैक्सीनेशन भी होनी है। ऐसे में गेट पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड ने अभिभावकों के साथ पहुंचे किशोरों को वापस भेज दिया। यही हाल सलेम टाबरी स्थित डा. अंबेदकर भवन में भी रहा। यहां भी सवा दस बजे से वैक्सीनेशन शुरू हुई। इससे पहले वैक्सीनेशन के लिए पहुंचे किशोरों को भवन के बाहर नियुक्त गार्ड ने वापस भेज दिया। वहीं अर्बन कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर ग्यासपुरा में भी सवा दस बजे तक वैक्सीनेशन शुरू नहीं हुई थी। अस्पताल के गेट बंद थे। वहीं मदर एंड चाइल्ड अस्पताल में सुबह साढे़ नौ बजे वैक्सीनेशन शुरू हो गई थी।
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