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लुधियाना की बिजनेस वूमेन नलिनी अरोड़ा की अनूठी पहल, झुग्गी-झोपड़ी वाले बच्चों के लिए धड़कता है दिल

नलिनी अरोड़ा यूं तो पेशे से बिजनेस वूमेन हैं लेकिन उनका झुग्गी झोपड़ी वाले बच्चों के लिए उनका दिल धड़कता है। वह उन्हें अच्छी शिक्षा देना चाहती हैं। कोरोना काल में वह ऐसे बच्चों को पढ़ा रही हैंं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 12:56 PM (IST)
लुधियाना की बिजनेस वूमेन नलिनी अरोड़ा की अनूठी पहल, झुग्गी-झोपड़ी वाले बच्चों के लिए धड़कता है दिल
झुग्गी झोपड़ी वाले बच्चों को पढ़ाती नलिनी की टीम। जागरण

लुधियाना [राधिका कपूर]। नलिनी अरोड़ा पेशे से खुद बिजनेस वूमेन हैंं पर समाज को बदलने की सोच हमेशा से रही है। झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को हमेशा लोग नजरअंदाज करते हैं, लेकिन उन्होंने इनके लिए कुछ करने की ठानी। नलिनी शुरुआत की और देखते ही देखते लोग उनके साथ जुड़ते गए। नलिनी अरोड़ा इंटीरियर लाइन के बिजनेस से जुड़ी हुई है।

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नलिनी उड़ान संस्था को लीड कर रही हैंं जिसे कोरोना काल में पिछले साल अक्टूबर में ही खोला गया है। इस संस्था में झुग्गी झोपड़ी के तीस बच्चे पढ़ रहे हैं। नलिनी का कहना है कि कोरोना काल ने हर वर्ग को प्रभावित किया है। बड़े स्कूल-कालेजों में तो आनलाइन क्लासें चल रही हैं, लेकिन झुग्गी झोपड़ी वालों के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वह आनलाइन पढ़ सकें। 

नलिनी ने ऐसे बच्चों को पढ़ाने की सोची और उनके लिए स्कूल खोला। हैबोवाल के रघुवीर पार्क पड़ते एक जंजघर में झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इन बच्चों के लिए रोजाना तीन घंटे की क्लास चलती है। वह खुद सप्ताह में तीन से चार दिन स्कूल में विजिट कर बच्चों से फीडबैक लेती हैं कि इस सप्ताह क्या पढ़ा है। जहां तक बच्चों की किताबों, स्टेशनरी की बात है तो उड़ान संस्था के सभी सदस्य इनका खर्चा उठा रहे हैं।

कहां से आया बच्चों को पढ़ाने का विचार

नलिनी का कहना है कि उनका खुद का भाई दिव्यांग है। समाज हमेशा इस वर्ग को भी नजरअंदाज करता है तो मन में आया कि इस वर्ग के लिए जरूर कुछ करना है। बात 2015 की है जब घर में काम करने वाली महिला के बच्चों को घर के ही बरामदे में पढ़ाना शुरू कर दिया। एक-दो सप्ताह बाद आस-पास के झुग्गी-झोपड़ी के बच्चे भी आकर पढ़ने लगे। जब ठाना ही था कि झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाना है तो कुछ समय बाद बीआरएस नगर पड़ते एक गुरुद्वारे में बच्चों की क्लास शुरू कर दी और एक अध्यापक का प्रबंध किया। खैर अब कोविड-19 चल रहा है तो यह लक्ष्य रहा कि दोबारा इस वर्ग के बच्चों के लिए स्कूल खोल शिक्षा दी जाए। नए साल में संस्था ने प्रण लिया है कि झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाने का लक्ष्य बरकररार रखेंगी, क्योंकि संस्था नहीं चाहती कि समाज का कोई भी बच्चा बिना शिक्षा के रहे।

टीम करती बच्चों की तलाश

उड़ान संस्था में शामिल टीम की सदस्याएं स्लम एरिया में एेसे बच्चों की तलाश करती हैं जो पढ़ना चाहते हैं, पर परिवार के आर्थिक हालात और साधन पूरा न होने के कारण पढ़ नहीं पाते। समय-समय पर पढ़ाई के साथ-साथ संस्था इन बच्चों के साथ सभी त्योहार व खुशियां भी सेलिब्रेट करती हैं।


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