सुरिंदर सिदक के गजल संग्रह 'रूह की गानी' का विमोचन
पंजाब के सरहदी क्षेत्र अबोहर की मूलवासी और आस्ट्रेलिया में एडीलेड की धरती पर अपनी शायराना महक बिखेर रहीं संवेदनशील शायर सुरिंदर सिदक के गजल संग्रह 'रूह की गानी' का पद्मश्री सुरजीत पातर ने रविवार को पंजाबी साहित्य जगत की नामवर शाख्सियतों की मौजूदगी में विमोचन किया।
जागरण संवाददाता, लुधियाना
पंजाब के सरहदी क्षेत्र अबोहर की मूलवासी और आस्ट्रेलिया में एडीलेड की धरती पर अपनी शायराना महक बिखेर रहीं संवेदनशील शायर सुरिंदर सिदक के गजल संग्रह 'रूह की गानी' का पद्मश्री सुरजीत पातर ने रविवार को पंजाबी साहित्य जगत की नामवर शाख्सियतों की मौजूदगी में विमोचन किया। इस मौके पर प्रोफेसर गुरभजन सिंह गिल, प्रोफेसर रविंदर भट्ठल, प्रोफेसर जसपाल घई, सुखविंदर अमृत, गुरचरण कोचर, डॉ. गुरइकबाल सिंह व गुलजार पंधेर भी मौजूद रहे।
लोक गीत प्रकाशन द्वारा प्रकाशित गजल संग्रह 'रूह की गानी' के विमोचन के दौरान सुरजीत पातर ने कहा कि सुरिंदर सिदक ने अपने इस गजल संग्रह के जरिए परदेस में रहने वाली महिला के दिल में अपनी मातृ भूमि को छोड़े जाने का दर्द बयां किया है और बताया है कि विदेशी धरती पर अकेलापन सहन करने वाली महिला की मानसिक स्थिति किस हद तक गंभीर बनी होती है। वहीं जसवंत सिंह जफर ने कहा कि सुरिंदर सिदक की कलम शब्द को कलात्मक रूप देती है। इस गजल में सिदक ने न सिर्फ दिल के दर्द को बयां किया है, बल्कि उस दर्द के साथ खुशी की बात भी की है।
अकेलेपन के अनुभव को शब्दों में पिरोया
इस मौके पर शायर सुरिंदर सिदक ने कहा कि विदेशी धरती पर जाने के बाद जब वह अकेलेपन का शिकार हुई, तो कलम ने उनको सहारा दिया। अपने अकेलेपन के अनुभव को उन्होंने इस किताब में सहेजा है। सुरिंदर कौर ने कहा कि विदेशों की चकाचौंध दूर से बहुत आकर्षित करती है, लेकिन वहां लोग अपने आप में व्यस्त हैं। किसी के पास किसी के लिए वक्त नहीं है। वहां की जिदंगी बहुत तेज है।