आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन महीने से नहीं पहुंचा राशन, 50 हजार नौनिहाल कर रहे इंतजार Ludhiana News
सरकार इन नौनिहालों व माताओं को दूध वाला दलिया खीर व पंजीरी देते हैं। इसके अलावा सुबह को नाश्ते के साथ सप्ताह में चार दिन घी में बना हुआ हलवा व दो दिन दूध दिया जाता है।
लुधियाना, [ राजेश भट्ट]। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के कर्मचारी व अफसर पोषण माह मनाए जाने का ढिंढोरा पीट रहे हैं। स्तनपान कराने वाली व गर्भवती माताओं और नौनिहालों को पोषण युक्त भोजन लेने की सलाह प्रशासनिक अफसरों व कर्मचारियों की तरफ से दी जा रही है। कुछ जगहों पर छोटे मोटे कार्यक्रम आयोजित कर पोषण माह मनाए जाने की औपचारिकताएं मात्र पूरी जा रही हैं।
समाज के जिस वर्ग को पोषण युक्त भोजन खाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, उस वर्ग को सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए पोषित भोजन उपलब्ध करवाती है। लेकिन तीन महीने से आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले 50 हजार नौनिहाल व 25 हजार माताओं को पोषित निवाला नहीं मिला। जिसकी वजह से पोषण माह में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना की हवा निकल रही है।
जिले में 2487 आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ 125 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र भी हैं। हर अांगनबाड़ी केंद्र से 20 बच्चों के साथ पांच गर्भवती व पांच स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को पोषित भोजन उपलब्ध करवाया जाता है। ताकि बच्चों के साथ साथ गर्भ में पलने वाले बच्चे कुपोषण का शिकार न हों। लुधियाना जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों से करीब 50 हजार नौनिहाल व 25 हजार माताएं पोषण युक्त भोजन प्राप्त करती हैं।
सरकार इन नौनिहालों व माताओं को दूध वाला दलिया, खीर व पंजीरी देते हैं। इसके अलावा सुबह को नाश्ते के साथ सप्ताह में चार दिन घी में बना हुआ हलवा व दो दिन दूध दिया जाता है। लेकिन तीन महीने से आंगनबाड़ी सेंटरों में बच्चों व माताओं के लिए पोषण युक्त भोजन सप्लाई नहीं किया गया। जिसकी वजह से बच्चों व माताओं को यह भोजन नहीं मिल पाया। ऐसे में सरकार के दावों की पोल खुल रही है।
आंगनबाड़ी वर्करों पर दबाव
पोषण माह आंगनबाड़ी वर्करों पर प्रशासन की तरफ से दबाव डाला जा रहा है कि वह पोषण माह मनाएं और माताओं व बच्चों को पोषित भोजन उपलब्ध करवाएं। आंगनबाड़ी वर्करों का वेतन इतना नहीं है कि वह बच्चों व माताओं को पोष्टिक खाना उपलब्ध करवा सकें। कुछ आंगनबाड़ी वर्करों ने चंदा करके अपने सेंटरों में बच्चों व माताओं को फल बांटे हैं। लेकिन यह भी एक ही दिन हो सका। आंगनबाड़ी वर्कर बताती हैं कि सरकार की तरफ से समय पर कुछ नहीं मिलता, जिसकी वजह से गरीब बच्चों व माताओं को पोषण युक्त खाना मिल सके। उनका कहना है कि दूध के लिए पैसे नहीं मिलते हैं और दूध की सप्लाई तीन माह से बंद है।
सरकार कर रही है दिखावा
आंगनबाड़ी वर्कर यूनियन की प्रधान सुभाष रानी ने बताया कि सरकार पोषण माह के नाम पर दिखावा कर रही है। जबकि महिलाओं व बच्चों को किसी तरह का पौष्टिक खाना नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि सरकार अगर इतनी गंभीर है तो आंगनबाड़ी सेंटरों में समय पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाए, ताकि माताओं व बच्चों को मिल सके। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी सेंटरों के साथ वह महिलाएं व बच्चे जुड़े हैं जिन्हें सच में पोषण की जरूरत है। इसके बावजूद सरकार समय पर पौष्टिक भोजन नहीं पहुंचा रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों में आकर एक दिन अगर महिलाओं को दो दो फल देने से कुपोषण दूर नहीं होता है।
इस तरह मिलता है खाना
सोमवार व वीरवार - दूध वाला दलिया
मंगलवार व शुक्रवार - खीर
बुधवार व शनिवार - पंजीरी सुबह का नाश्ता
- मंगलवार, बुधवार, शुक्रवार व शनिवार- हलवा
सोमवार व वीरवार - दूध
जिले में इतने हैं आंगनबाड़ी केंद्र
जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 2487 हैं और मिनी आंगनबाड़ी केंद्र 125 हैं। आंबनबाड़ी केंद्रों में 50 हजार बच्चे आते हैं। 15 हजार 500 गर्भवती महिलाएं आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़ी हैं। 12500 स्तनपान करवाने वाली महिलाएं भी आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़ी हुई हैं।
आंगनबाड़ी सेंटरों में भोजन की सप्लाई के लिए पनसप को ऑर्डर दे दिया है। एक दो दिनों में सामान की सप्लाई शुरू कर दी जाएगी।
-जगमेल सिंह, जिला प्रोग्राम अफसर लुधियाना।
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें