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लुधियाना के सिविल अस्पताल का कारनामा-महिला मरीज काे ग्रुप बी की बजाय चढ़ा दिया ए पॉजीटिव ब्लड

ब्लड बैंक में तैनात लैब टेक्नीशियन डयूटी मौजूद डाक्टर और वार्ड में तैनात स्टाफ की लापरवाही की वजह से मदर एंड चाइल्ड अस्पताल में भर्ती एक महिला की जान पर बन अाई।

By Edited By: Published: Tue, 21 May 2019 10:40 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 09:29 AM (IST)
लुधियाना के सिविल अस्पताल का कारनामा-महिला मरीज काे ग्रुप बी की बजाय चढ़ा दिया ए पॉजीटिव ब्लड
लुधियाना के सिविल अस्पताल का कारनामा-महिला मरीज काे ग्रुप बी की बजाय चढ़ा दिया ए पॉजीटिव ब्लड

जागरण संवाददाता, लुधियाना। सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में तैनात लैब टेक्नीशियन, डॉक्टर और वार्ड में तैनात स्टाफ नर्स की लापरवाही से एक महिला की जान जाते-जाते बची। क्योंकि, मंगलवार को मदर एंड चाइल्ड अस्पताल में भर्ती महिला को डॉक्टरों ने किसी और ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया। करीब आधा यूनिट ब्लड चढ़ने के बाद जब महिला का शरीर ठंडा पड़ने लगा और हालत बिगड़ी तो उसके परिजनों ने स्टाफ नर्स और ड्यूटी पर मौजूद ट्रेनी डॉक्टर को बुलाया। इसके बाद पता चला कि महिला को बी पॉजिटिव ब्लड की जगह पर ए पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया जा रहा था। यह पता चलते ही महिला के परिवार वाले भड़क गए। परिजनों का आरोप था कि ट्रेनी डॉक्टर ने इस लापरवाही को मानने की बजाए उन्हें ही गलत ठहराकर वार्ड से बाहर निकाल दिया। मामला बढ़ता देख चौकी सिविल अस्पताल की पुलिस मौके पर पहुंच कर मामले को शांत करवाया। इसके बाद आनन-फानन में महिला के परिजन उसे सीएमसी अस्पताल ले गए।

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ये है मामला

गढ़शंकर निवासी हरप्रीत ने बताया कि उसकी पत्नी लक्ष्मी की मदर एंड सिविल अस्पताल में डिलीवरी हुई थी। 8 मई को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई। उसकी पत्नी को खून की कमी आई, जिसके चलते सोमवार को लक्ष्मी को दोबारा अस्पताल में दाखिल करवा गया। इस केस को डॉ. सुखता देख रही थीं। खून की कमी के चलते सोमवार को बी पॉजिटिव का एक यूनिट चढ़ाया गया था। फिर मंगलवार दोपहर दूसरा यूनिट चढ़ाने के लिए कहा गया। इसके बाद उन्होंने लक्ष्मी के पिता मोहन सिंह को खून लेने ब्लड बैंक भेजा। हरप्रीत ने बताया कि जब उनके ससुर ब्लड बैंक पहुंचे तो उस समय एक और महिला खून लेने खड़ी थी। वह भी अपनी रश्मी नाम की बेटी के लिए ए पॉजिटिव ब्लड का यूनिट लेने आई थी। लक्ष्मी और रश्मी दोनों के सैंपल एक बार में टेस्ट किए गए। सैंपल टेस्ट करने के बाद ड्यूटी पर मौजूद लैब टेक्नीशियन ने टेबल पर ए और बी पॉजीटिव ब्लड रख दिए। इसके बाद बाद उनके ससुर वहां से एक यूनिट ब्लड लेकर आ गए।

स्टाफ नर्स व डॉक्टर को भी देखना चाहिए था

हरप्रीत का कहना था कि अगर अनपढ़ होने के नाते उनके ससुर गलती से किसी और ग्रुप का ब्लड ले भी गए थे, तो लैब टैक्नीशियन की डयूटी बनती थी कि वह उनके ससुर को रोक कर सही ब्लड देता या फिर जिस वार्ड में उनकी पत्नी भर्ती थी, उस वार्ड की स्टाफ नर्स या डॉक्टर को इसकी तुरंत सूचना देकर ब्लड वापस मंगवाता और सही ग्रुप का ब्लड भिजवाता। लेकिन लैब टेक्नीशियन ने ऐसा नहीं किया। दूसरी तरफ जब उनके ससुर ब्लड बैंक से कोई और ब्लड ग्रुप वाला ब्लड लेकर वार्ड में पहुंचे तो स्टाफ नर्स व डाक्टर ने भी जांच किए बगैर मरीज को खून चढ़ा दिया।

अगर लापरवाही से घटना हुई है तो यह बहुत गलत है। इसकी बुधवार को जांच की जाएगी। जिस डाक्टर ने मौके पर आकर परिवार से बदसलूकी की, उससे भी जवाब मांगकर बनती कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. गीता कटारिया, एसएमओ, सिविल अस्पताल

हमे जैसे ही घटना का पता लगा तो हमने मुलाजिम भेजकर मामला शांत करवा दिया।अभी हमारे पास परिजनो की तरफ कोई लिखती शिकायत नहीं आई है। शिकायत आएगी तो बनती कार्रवाई की जाएगी। -धर्मेंद्र शर्मा, इंचार्ज, सिविल अस्पताल पुलिस चौकी 

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