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नोटबंदी से कालेधन पर अंकुश लगाने में मिली मदद, बैंकों में पहुंचा सारा पैसा : मृदुला जैन

शिंगोरा टेक्सटाइल्स लिमिटेड की चेयरपर्सन मृदुला जैन का मानना है कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले पांच साल के दौरान दो अहम फैसले लिए नोटबंदी और जीएसटी।

By Edited By: Published: Fri, 10 May 2019 07:16 AM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 07:16 AM (IST)
नोटबंदी से कालेधन पर अंकुश लगाने में मिली मदद, बैंकों में पहुंचा सारा पैसा : मृदुला जैन
नोटबंदी से कालेधन पर अंकुश लगाने में मिली मदद, बैंकों में पहुंचा सारा पैसा : मृदुला जैन

जेएनएन, लुधियाना। शिंगोरा टेक्सटाइल्स लिमिटेड की चेयरपर्सन मृदुला जैन का मानना है कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले पांच साल के दौरान दो अहम फैसले लिए नोटबंदी और जीएसटी। इन दोनों फैसलों से देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती आ रही है और आने वाले वक्त में इसका सीधा लाभ होगा। नोटबंदी से कालेधन पर अंकुश लगाने में मदद मिली और देश का सारा पैसा बैंकों में आ गया। अब अर्थव्यवस्था के चलन में तमाम करेंसी का पूरा हिसाब है। नतीजतन अब लोगों का माइंड सेट बदल रहा है और संगठित क्षेत्र में कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। इससे जहां सरकार का राजस्व बढ़ रहा है। वहीं अर्थव्यवस्था का सिस्टम मजबूत हो रहा है। इसके अलावा सरकार ने सबसे बड़ा कर सुधार वस्तु एवं सेवा कर लागू किया। जीएसटी उद्योग जगत के लिए लाभकारी है। इससे लोगों को मल्टी टैक्स की बजाए एक ही टैक्स देना पड़ रहा है। मृदुला जैन ने कहा कि स्थानीय स्तर पर उद्योगों को मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर देने की जरूरत है। उद्योगों के गढ़ फोकल प्वाइंट में सड़कें बेहाल हैं। इस ओर ध्यान देकर भी उद्योगों को बूस्ट किया जा सकता है।

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जीएसटी की अधिक दर ग्रोथ में रुकावट : सुरिंदर

जीएस ऑटो कॉम्प प्राइवेट लिमिटेड के मैने¨जग डायरेक्टर और फेडरेशन ऑफ ऑटो पा‌र्ट्स मैन्युफैक्चरर्स के प्रेसिडेंट सुरिंदर सिंह के अनुसार नोटबंदी से बाजार में तरलता की एकदम से कमी आ गई। इसका सीधा प्रभाव कारोबार पर हुआ। कारोबार में एकबारगी जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। इसके बाद सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर लागू कर दिया। शुरुआती दौर में असमंजस की स्थिति बनी रही। आज भी ऑटो पा‌र्ट्स पर जीएसटी की दर 28 फीसद है। ऑटो के पुर्जे ट्रक और ट्रैक्टर में भी लगते हैं। टैक्स की दर ज्यादा बाजार में समानांतर व्यवस्था काम कर रही है। इससे कॉर्पोरेट सेक्टर को नुकसान हो रहा है। दूसरे उद्यमियों का केपिटल फंस रहा है। जीएसटी की अदायगी नकदी में की जा रही है, जबकि माल की पेमेंट छह माह में आती है। नतीजतन उद्यमी खुल कर कारोबार नहीं कर पा रहे हैं। साफ है कि पिछले पांच साल से उद्योगों में ग्रोथ नहीं दिखी।

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