सास को इतना प्रेम दें कि वह बेटी को भूल जाए : अचल मुनि
गुरु अचल ने मानव महल की रचना को आगे बढ़ाते हुए कहा कि महल की संपूर्णता तब होती है।
संस, लुधियाना :
जैन स्थानक शिवपुरी की सभा में ओजस्वी वक्ता गुरु अचल ने कहा कि महल की संपूर्णता तब होती है, जब सारी वस्तुएं स्थापित हो जाएं। मानव महल में फव्वारा लगाएं। महल में फव्वारा हरियाली एंव ठंडक पैदा करता है। प्रेम भी तप्त दिलों को व मान को ठंडक देता है। आने वाले आगंतुक की भी प्रेम के फव्वारे के नीचे बैठते ही सारी थकावट दूर हो जाती है। धर्म भी प्रेम में ही है। होली पर्व पर गुलाल लगाना, पिचकारी से रंग उड़ाना सब प्रेम का ही प्रतीक है। प्रेम कभी हिसा नहीं करता। प्रेम सर्वव्यापक होता है। प्रेम वैसे फूल से भी कोमल होता है पर इसके स्पर्श मात्र से पत्थर दिल भी पिघल जाते हैं। मानव का दूसरा नाम प्रेम है। परमात्मा का वास भी उसी दिल में होता है, जहां प्रेम होता है। उन्होंने कहा कि गर आप सास है तो अपनी बहू को इतना प्रेम दें कि बहू अपने पीहर का फोन नंबर ही भूल जाएं। अगर आप बहू है तो अपनी सास को इतना आदर-सम्मान दें कि सास अपनी बेटी का नाम लेना ही भूल जाए। अगर आप बाप है तो अपने बेटे को ऐसे संस्कार दें जो उसे भवसागर से तार दे। और अगर आप बेटे हैं तो ऐसा जीवन जीए कि दुनियां तुम्हारे मां बाप से पूछे कि आखिर किसी तपस्या के फल से तुमने ऐसा होनहार बेटा पाया है, पर आज के जमाने में प्रेम का अभाव हो गया है।
अतशिय मुनि ने कहा कि रोटी भी बड़े कमाल की चीज है। कमाने के लिए भी दौड़ना पड़ता है व पचाने के लिए भी । थोड़ा अपनी जरुरतों को सीमित करें। संतोषी इंसान हमेशा सुखी रहता है, जिदगी चाहे एक दिन की हो, चाहे चार दिन की। उसे ऐसे जीओ, जैसे कि जिदगी तुम्हें नहीं मिली, बल्कि जिदगी को तुम मिले हो।