Lohri Special: यहां के तिल भुग्गे के PM माेदी मुरीद, 103 साल से स्वाद बरकरार
पीएम मोदी ने कहीं पर लुधियाना के नत्थू मल घुद्दू मल द्वारा तैयार किया तिल भुग्गा खाया था और इसके वह वह भुग्गे के मुरीद हो गए।
लुधियाना [राजीव शर्मा]। पंजाब के लोग खाना बनाने व खाने के लिए जाने जाते हैं। यहां का खानपान देश ही नहीं, विदेशों में भी मशहूर हैं। क्या आपको पता है कि पंजाब के लुधियाना में तैयार होने वाले तिल भुग्गे के पीएम नरेंद्र मोदी भी काफी शौकीन हैं। पीएम मोदी ने कहीं पर लुधियाना के नत्थू मल घुद्दू मल द्वारा तैयार किया तिल भुग्गा खाया था और इसके बाद वह भुग्गे के मुरीद हो गए।
पीएम लुधियाना से अब तक पांच छह बार भुग्गा मंगवा चुके हैं। नत्थू मल घुद्दू मल के संचालक गौरव अग्रवाल का दावा है कि 15-20 दिन पहले पीएमओ से एक अफसर आए थे और प्रधानमंत्री के लिए लुधियाना से विशेष तिल भुग्गे के डिब्बे लेकर चले गए। लोहड़ी पर तिल भुग्गे की डिमांड एकदम बढ़ जाती है।
103 साल से स्वाद बरकरार
पिछले 103 साल से नत्थू मल घुद्दू मल के तिल भुग्गे, रेवड़ी एवं गजक का स्वाद वैसा ही है, आज उनकी चौथी पीढ़ी कारोबार में आ गई है, बावजूद इसके क्वालिटी वही है।
विदेशों में भी है मांग
बदलते वक्त के साथ ग्राहकों की मांग पर अब मैंगो, चाकलेट, गुलाब, केवड़ा, इलाइची समेत 20 तरह के फ्लेवर की गजक, नौ तरह की रेवड़ी एवं तीन तरह का भुग्गा तैयार किया जा रहा है। यहां के रेवड़ी गजक एवं भुग्गा की कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के अलावा विदेशों में भी मांग है। बड़ी संख्या में एनआरआइ अपने साथ तिल भुग्गा, रेवड़ी एवं गजक ले जाते हैं। इसके अलावा इन उत्पादों की बुकिंग ऑनलाइन करके देश में कहीं भी कोरियर के जरिये डिलीवरी दी जाती है।
अब भी प्रयोग में लाए जाते हैं 103 साल पुराने बर्तन
लोहड़ी पर तिल भुग्गे, रेवड़ी एवं गजक की काफी मांग रहती है। वर्ष 1917 में दो भाईयों नत्थू मल घुद्दू मल हरियाणा के तरावड़ी से आकर लुधियाना के चौड़ा बाजार में रेवड़ी, गजक एवं भुग्गे का कारोबार शुरू किया। शुरुआत में दोनों भाई खुद ही सारा सामान बनाते और बेचते थे। आज भी सारा काम हाथ से ही किया जा रहा है। 103 साल पुराने बर्तन एवं भट्टी का भी उपयोग किया जा रहा है। अब चौड़ा बाजार को अलावा दंडी स्वामी रोड पर भी नया शोरूम खोल दिया गया है। इस कारोबार को अब गौरव अग्रवाल, सुनील एवं संदीप अग्रवाल संभाल रहे हैं। अब उनके बच्चे भी इस परिवारिक बिजनेस में योगदान कर रहे हैं।
हाथ से होता है काम
गौरव ने कहा कि दादा जी ने शुरू में कड़ाका गजक बनाई। आज तक वैसी गजक कोई बना नहीं पाया। ज्यादातर उत्पादों में देसी घी का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा तिल, खोया, चीनी एवं शक्कर भी इस्तेमाल होती है। उन्होंने कहा कि बदलते वक्त के साथ उत्पाद बनाने के लिए मशीनरी भी मंगवाई गई थी, लेकिन वैसी क्वालिटी नहीं बन पाई। नतीजतन अब भी सब काम हाथ से ही किया जाता है। गौरव ने कहा कि लोहड़ी तक के सारे आॅर्डर बुक हैं, कोई नया आर्डर नहीं ले रहे हैं। साथ ही आॅर्डर के अनुसार रोजाना ताजा सामान ही तैयार किया जाता है। उनका दावा है कि दस पंद्रह दिन तक रखने के बावजूद भी उनका भुग्गा खराब नहीं होता।
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