धरातल पर रुपया, निर्यात पर बने जीरो आयकर नीति: आहूजा
-गिरते रुपये से उद्योग जगत में बैचेनी का आलम जागरण संवाददाता, लुधियाना : डालर के मुकाबले रु
-गिरते रुपये से उद्योग जगत में बैचेनी का आलम
जागरण संवाददाता, लुधियाना :
डालर के मुकाबले रुपये में आ रही कमजोरी से उद्योग जगत में बेचैनी का आलम है। उद्यमियों का कहना है कि एकतरफ करेंसी में कमजोरी से विदेशों से आने वाला कच्चा माल महंगा हो रहा है, दूसरी तरफ निर्यात के माल पर विदेशी बायर डिस्काउंट मांग रहे हैं।
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग्स के प्रधान उपकार सिंह आहूजा ने मांग की है कि 1991 की तर्ज पर निर्यात होने वाले माल पर जीरो फीसद आयकर की नीति लागू की जाए। इससे निर्यात को बढ़ाकर रुपये को स्थिर किया जा सकता है।
आहूजा ने कहा कि 1991 में भी डालर के मुकाबले रुपया 19 के स्तर से गिरकर 26 पर पहुंच गया था। तब सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जीरो फीसद आयकर की नीति लागू की थी और निर्यात में तेज ग्रोथ देखी गई थी। अब चालू साल के भीतर रुपये में 13 फीसद की गिरावट देखी जा रही है। जनवरी में डालर के मुकाबले रुपया 63.46 के स्तर पर था, जोकि सितंबर में एकबारगी 72.91 का स्तर भी छू चुका है। ऐसे में कमजोर रुपया मैन्युफैक्चरिंग बेस पर विपरीत असर डाल रहा है। उद्यमी अब यह मान रहे हैं कि सरकार इसमें तुरंत हस्तक्षेप करे और करंसी को थामने के उपाय करे।
आहूजा ने कहा कि अब भी करेंसी के मामले में 1991 वाली स्थिति ही बनी हुई है। इसे संभालने के लिए कारगर एवं कठोर उपाय करने होंगे। अन्यथा स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।