श्रमिक पंजाब आने को बेकरार, कर रहे मांग- ट्रेनों की व्यवस्था करे सरकार
पंजाब से कोरोना संकट के कारण श्रमिक अन्य राज्यों वापस जा रहे हैं तो दूसरी ओर काफी संख्या में श्रमिक बिहार और उत्तर प्रदेश से पंजाब आना चाहते हैं।
लुधियाना, [डीएल डॉन]। कोरोना महामारी के बीच लाखों श्रमिक गांव लौट रहे हैं तो दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश व बिहार के काफी संख्या में पंजाब लौटना चाहते हैं। ये श्रमिक धान की कटाई व वूलेन होजरी सीजन पूरा होने के बाद दिसंबर में अपने गांवों गए थे और अब रोजगार के लिए पंजाब आने को बेताब हैं। पंजाब से कोरोना काल में उत्तर प्रदेश, बिहार व अन्य राज्यों को जाने के लिए श्रमिक विशेष ट्रेनों का इंतजाम तो किया है, लेकिन उत्तर प्रदेश व बिहार से वापस आने के लिए साधन नहीं है। ऐसे में कृषि, वूलेन होजरी व अन्य फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिक लौट नहीं पा रहे।
धान की रोपाई व फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिकों को चाहिए जनरल ट्रेन ताकि सस्ते में हो सफर
रेलवे 1 जून से स्पेशल ट्रेनें चलाने का एलान किया है, लेकिन उनमें बुकिंग फुल हो गई। इसके साथ ही इन ट्रेन में ज्यादा किराया देने में श्रमिक असमर्थ हैं। ऐसे में श्रमिकों का सरकार से आग्रह है कि उत्तर प्रदेश, बिहार व अन्य राज्यों से पंजाब के लिए साधारण ट्रेन शुरू की जाए ताकि श्रमिक कम किराये में लौट सकें।
बिहार के सीतामढ़ी के गांव बाजपट्टी के रहने वाले मो. शहनवाज व अन्य श्रमिक।
उत्तर प्रदेश-बिहार से आने वाली ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की मांग
1 जून से चलने वाली ट्रेनें अकाल तख्त, सचखंड, सरयु यमुना एक्सप्रेस, पश्चिम एक्सप्रेस, जन शताब्दी, फ्रंटियरमेल, राजधानी एक्सप्रेस, कर्मभूमि एक्सप्रेस श्रमिकों के लिए पर्याप्त नहीं है। इनकी बुकिंग भी फुल हो चुकी है और कई ट्रेनें नोरूम हैं। इसलिए श्रमिकों की मांग है कि उत्तर प्रदेश-बिहार से चलने वाली सभी ट्रेनों को चलाया जाए ताकि रोजी रोटी कमाने के लिए वह वापस लौट सकें।
श्रमिकों का कहना है कि विशेष रूप से हावड़ा मेल, गरीबरथ एक्सप्रेस, सियालदह एक्सप्रेस, धनवाद एक्सप्रेस, आम्रपाली एक्सप्रेस, हावड़ा एक्सप्रेस, हिमगिरी एक्सप्रेस, सहरसा से जनसेवा एक्सप्रेस, जनसाधारण एक्सप्रेस, दरभंगा से जननायक एक्सप्रेस को अविलंब चलाई जाए।
-
श्रमिक बोले-लॉकडाउन से बढ़ी आर्थिक तंगी
सीतामढ़ी के बाजपट्टी से मो. राशिद आलम, मो. मतलूब, मो. दिलखुश, मो. महबूब आलम, आलम शेख, कैलाश कुमार, सुनील कुमार, ललन राय, सूरज कुमार ने फोन पर बताया कि दिसंबर में लुधियाना में होजरी सीजन पूरा करने के बाद गांव आए और लॉकडाउन के कारण वापस नहीं आ सके। उन्होंने फोन पर बातचीत में कहा, घर में बैठने से आर्थिक तंगी आ गई है और रोजगार के लिए लुधियाना जाना जरूरी है।
श्रमिक संकट भी होगा दूर
लुधियाना श्री छठ पूजा समिति के प्रधान मुकेश कुमार ने सरकार से आग्रह किया है कि जिस तरह जाने के लिए ट्रेन की व्यवस्था है, उसी तरह उत्तर प्रदेश व बिहार से आने के लिए भी प्रबंध किया जाए। इससे जहां श्रमिकों को रोजगार मिलेगा, वहीं सूबे में कृषि व औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिक संकट काफी दूर हो जाएगा।
---
एडवांस लेकर आए थे गांव
इसी तरह बिहार के रामप्रसाद, बद्री पासवान, उमेश मंडल, कलानंद राय का कहना है कि लुधियाना के गांव माछीवाड़ा से किसान सतनाम सिंह से एडवांस लेकर आए हैं ताकि गेहूं काटने के बाद धान की रोपाई कर सकें। ट्रेन की कमी के कारण गेहूं काटने भी नहीं जा सके, अब धान की रोपाई जरूरी है इसलिए सरकार ज्यादा ट्रेनों को चलाए।
यह भी पढ़ें: कामगारों की छटपटाहट: भ्राजी, तुस्सी घर लौट आओ...बाबूजी हमहू चाहित है, कौनो व्यवस्था करावा
यह भी पढ़ें: हरियाणा के युवाओं की दास्तां: जमीन बेची और लाखों का कर्ज लिया, बेटा बर्बादी लेकर लाैटा
यह भी पढ़ें: मुश्किल में फंसी जान को बचाएगा सप्लीमेंट ऑक्सीजन थेरेपी सिस्टम, कोरोना संकट में संजीवनी
यह भी पढ़ें: चिंता न करें जल्द मिलेगी कोरोना से मुक्ति, जानें उत्तर भारत में कब तक खत्म होगा यह virus
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें