श्रम कानूनों में संशाेधन पर बिफरे मजदूर संगठन, माेदी सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का अाराेप
टेक्सटाइल-हाेज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविंदर सिंह ने कहा कि नए श्रम कानूनों के तहत 300 या इससे कम मज़दूरों वाले उद्योगों में सरकार की अनुमति के बिना मज़दूरों की छंटनी की जा सकेगी। इससे पहले यह संख्या 100 थी। इस फैसले का विराेध किया जाएगा।
लुधियाना। कारखाना मज़दूर यूनियन एवं टेक्सटाइल-हाेज़री कामगार यूनियन ने केंद्र सरकार के श्रम कानूनों में संशोधनों के खिलाफ विराेध जताया है। कृषि कानूनों के खिलाफ़ 25 सितंबर को पंजाब बंद के आह्वान के तहत लुधियाना में जनसंगठनों के रोष प्रदर्शन में इस मज़दूर विरोधी कदम के खिलाफ़ भी आवाज़ बुलंद की जाएगी।
मोदी सरकार ने शनिवार को लोकसभा में तीन बिल पास किए हैं। इनमें इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बिल, 2020; कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी बिल, 2020 और आक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडिशन कोड बिल, 2020 पेश किए थे।
टेक्सटाइल-हाेज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविंदर सिंह ने कहा कि नए श्रम कानूनों के तहत 300 या इससे कम मज़दूरों वाले उद्योगों में सरकार की अनुमति के बिना मज़दूरों की छंटनी की जा सकेगी। इससे पहले यह संख्या 100 थी। इन काले कानूनों के जरिए मज़दूरों की हड़ताल भी सख्त पाबंदियां लगाई गई हैं।
पिछले साल पारित वेतन कोड के जरिए अन्य अधिकारों के अलावा न्यूनतम वेतन और आठ घंटे कार्य दिवस के अधिकार पर हमला बोला गया था। संगठनों का कहना है कि मोदी सरकार ने श्रम कानूनों के जरिये पूंजीपति वर्ग काे मनमानी का अधिकार दे दिया है। उन्होंने अपील की है कि 25 सितंबर को डीसी कार्यालय लुधियाना पर होने वाले रोष प्रदर्शन में शामिल होने में ज्यादा से ज्यादा संख्या में लाेग पहुंचे।