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डीईओ कार्यालय का सामान कुर्क करने पहुंची टीम, हड़कंप

डीईओ कार्यालय में उस वक्त अफरातफरी मच गई जब एक टीचर अदालती आदेश के साथ कुर्क कराने पहुंच गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 07:34 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 06:23 AM (IST)
डीईओ कार्यालय का सामान कुर्क करने पहुंची टीम, हड़कंप
डीईओ कार्यालय का सामान कुर्क करने पहुंची टीम, हड़कंप

जागरण संवाददाता, लुधियाना : जिला शिक्षा अधिकारी प्राइमरी (डीईओ) कार्यालय में उस वक्त अफरातफरी मच गई, जब एक पूर्व टीचर अदालती आदेश के साथ डीईओ कार्यालय कुर्क करवाने पहुंच गई। अदालती आदेश को देख अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए। ज्यादातर अफसर और कर्मचारी अपनी कुर्सियों से उठकर इधर-उधर हो गए। बाद में डिप्टी डीईओ कुलदीप सिंह (प्राइमरी) कार्यालय में पहुंचे और अदालत से कुर्क आदेश को लेकर पहुंचे कोर्ट प्रतिनिधि से बातचीत की। हालांकि उस पर भी कोई हल न निकलते देख डिप्टी डीईओ उन्हें समझाकर कोर्ट से स्टे आर्डर लेने की प्रक्रिया जुट गए। देर शाम अदालत ने उन्हें 21 अक्टूबर तक की मोहलत दी तो उन्हें राहत मिली। उधर, विभाग ने हाईकोर्ट में भी इस मामले में अपील दायर कर रखी है। इस सारे नाटकीय घटनाक्रम में पेंशन का दावा करने वाली महिला टीचर, उनके परिवार के लोग और सामान उठाने आए मजदूर भी देर शाम तक कार्यालय में डटे रहे। देर शाम जब अदालत के प्रतिनिधि को 21 अक्टूबर तक मिले स्टे के कागजात दिखाए, तब जाकर वह लौटे। क्या है मामला

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शिक्षा विभाग के सरकारी प्राइमरी स्कूल समराला में तैनात टीचर हरभजन कौर अगस्त 2001 में रिटायर्ड हुई थीं। हरभजन के बेटे भूपिदर सिंह ने बताया कि तीन साल तक समराला में चक्कर लगाते रहे, लेकिन पेंशन नहीं मिलनी शुरू हुई। 2003 से 2006 तक डीसी की खुली अदालत में आवेदन किया। वहां से भी निराशा हाथ लगी। 2007 में उन्होंने निचली अदालत में अपील दायर की। नौ साल के बाद 2016 में उनके हक में फैसला हुआ और विभाग ने कोर्ट के आदेश पर 7865 रुपये पेंशन लगा दी। नवंबर 2018 तक पेंशन आई, उसके बाद बंद कर दी गई। मार्च 2019 में फिर अदालत में अपील करने पर सितंबर 2019 में उनके पक्ष में फैसला आया। विभाग को लगभग 19 लाख रुपये अदा करने का फैसला सुनाया। राशि अदा न करने पर वह कोर्ट के प्रतिनिधि के साथ कुर्क वारंट लेकर पहुंचे। क्या कहता है विभाग

डिप्टी डीईओ प्राइमरी कुलदीप सिंह के अनुसार वर्ष 2001 में टीचर रिटायर्ड हुई थीं। तत्कालीन अफसरों ने उनकी सेवानिवृत्ति के सभी कागजात विभाग को भेज दिए। जानकारी के अनुसार उनकी अनुपस्थिति व छुट्टियां काटने के बाद कुल सर्विस लगभग नौ साल के आसपास बनती है, जिसमें वह जितना डिमांड कर रही है, वह नहीं बनता है। इसके अलावा जितनी राशि का आदेश है, उसकी व्यवस्था करने में विभाग को समय लगेगा। स्थानीय अदालत ने इसी आधार पर उन्हें 21 अक्टूबर तक की राहत दी है। इसके अलावा विभाग इस फैसले के बाद हाईकोर्ट में भी याचिका दायर करेगा।


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