किसान आंदोलन के लिए दिल्ली गए LIP नेता सरबजीत कंग पर अपहरण का केस, जानिए पूरा मामला
किसान आंदोलन में शामिल होने दिल्ली गई खन्ना के लोक इंसाफ पार्टी के हलका इंचार्ज सरबजीत कंग मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं। उनपर एक युवक को नशा छुड़ाओ केंद्र में बंधक बनाकर रखने का आरोप लगा है। पुलिस ने मामले में केस दर्ज कर लिया है।
खन्ना, जेएनएन। खन्ना पुलिस ने लोक इंसाफ पार्टी के खन्ना के हलका इंचार्ज सरबजीत सिंह कंग के खिलाफ पर एक युवक को अगवा कर उसे अपने नशा छुड़ाओ केंद्र में बंधक बनाकर रखने के आरोप में केस दर्ज किया है। पुलिस ने युवक को बरामद भी कर लिया है, लेकिन कंग अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। कंग दिल्ली में किसानों के आंदोलन में शामिल होने के लिए गए हैं। पुलिस की तरफ से यह एफआईआर सिमरनजीत कौर पत्नी रिप्पलदीप सिंह निवासी मलेरकोटला रोड खन्ना की शिकायत पर दर्ज की गई है।
पुलिस के पास दर्ज शिकायत में सिमरनजीत कौर ने बताया कि उसका विवाह दो साल पहले खन्ना के गांव अलूणा तोला हाल के रिप्पलदीप सिंह के साथ हुआ था। विवाह के बाद कोई बच्चा नहीं हुआ। उसका पति नशे करने का आदी था। इस कारण घर में झगड़ा ही रहता था। सरबजीत सिंह कंग उसके पति का दोस्त था। सरबजीत ने खन्ना में हाईवे पर विश्वास पुनर्वास केंद्र जीटी रोड खन्ना पर खोला हुआ है। वह उसके पति का नशा छुड़ाने का भरोसा देकर रिप्पलदीप को फरवरी महीने में अपने केंद्र में ले गया और उनसे पांच हजार प्रति महीना नशा छुड़ाने की फीस की बात की।
सिमरनजीत कौर के अनुसार सरबजीत ने उसके पति को केंद्र में दाखिल कर लिया। मई महीने में उसके पति ने नशा करना छोड़ दिया। सरबजीत सिंह ने नशा छुड़ाने के बदले 30 हज़ार रुपए की और मांग की। जब उसने और पैसे देने से मजबूर जाहिर की तो कुछ दिन पहले सरबजीत सिंह उसके पति को 15-20 व्यक्तियों के साथ 3-4 गाड़ियों में आकर साथ ले गया।
युवक को बरामद कर लिया है : एसएचओ
थाना सिटी-2 के प्रमुख लाभ सिंह ने कहा कि उन्होंने मामला दर्ज कर अगवा कर बंदी बनाए रिप्पलदीप सिंह को केंद्र से बरामद कर लिया है। उसे परिवार के हवाले कर दिया गया है। सरबजीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
पुलिस ने झूठा केस दर्ज किया : कंग
लिप नेता सरबजीत सिंह कंग ने कहा कि पुलिस की तरफ से झूठा मामला दर्ज किया गया है। रिप्पलदीप सिंह की पत्नी सिमरनजीत कौर ने अपने पति को नशा छुड़ाने के लिए कागज़ी कार्यवाही पूरी कर केंद्र में दाखिल करवाया गया था। ठीक होने पर जब 10 महीने बाद फीस की मांग की तो फीस न देने के लिए यह अगवा और बंदी बनाने का नाटक रचा गया है।