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देश का सुनहरा भविष्य बनाना, अबला को इंसाफ दिलाना कंचन का मकसद

समाज सेविका कंचन शर्मा ने अबला महिलाओं को इंसाफ दिलाने की ठानी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 07:00 AM (IST)
देश का सुनहरा भविष्य बनाना, अबला को इंसाफ दिलाना कंचन का मकसद
देश का सुनहरा भविष्य बनाना, अबला को इंसाफ दिलाना कंचन का मकसद

बिदु उप्पल, जगराओं

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स्लम इलाकों में घरेलू हिसा का शिकार एवं बदतर जीवन व्यतीत कर रहे बच्चों की हालत देख लुधियाना के प्रताप सिंह वाला निवासी समाज सेविका कंचन शर्मा का दिल पसीज गया। फिर उन्होंने ऐसे लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने की ठान ली। उन्होंने कहा कि तब सोच लिया कि मैं किसी की भी महिला की आंख में आंसू नहीं आने दूंगी और उनके अधिकार दिलाऊंगी। फिर कंचन ने पति वीरभान के प्रोत्साहन व सहयोग से बच्चों की शिक्षा, घरेलू हिसा का शिकार हो रही महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए काम शुरू किया और अब तक सैकड़ों महिलाओं को वह न्याय दिला चुकी हैं। आज वह उनके लिए उम्मीद की किरण बन चुकी हैं। कंचन स्लम इलाकों में रहने वाले करीब सौ बच्चों को शिक्षा दिला रही है, ताकि वे पढ़-लिख कर सही रास्ते पर आगे बढ़ सकें। इस काम के लिए उन्हें आर्थिक मदद की जरूरत होती है तो कुछ संगठन उनके इस नेक कार्य में खुद-ब-खुद हाथ आगे बढ़ा देते हैं। 1997 से समाज सेवा के कार्यो से जुड़ीं

कंचन शर्मा ने बताया कि वर्ष 1997 से वह समाज सेवा के कार्यो से जुड़ी। वह रामेश्वर वेलफेयर ट्रस्ट की चेयरपर्सन हैं और पंजाब की वुमेन वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष हैं। कंचन का जीवन में समाज सेवा के अलावा कोई मकसद नहीं है। हर वक्त उनके मन में आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों एवं महिलाओं को सही रास्ता दिखाने की ललक रहती है। दो स्कूलों की जिम्मेदारी, सौ बच्चों को दिला रहीं शिक्षा

कंचन नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट के तहत स्लम एरिया के दो स्कूलों के रखरखाव की जिम्मेदारी निभाती हैं। इन दोनों स्कूलों में सौ बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं जो नौ से 14 वर्ष के हैं। ये वो बच्चे हैं जो किन्हीं कारणों से बाल मजदूरी करने पर मजबूर होते हैं। वह उनको प्रारंभिक शिक्षा दिलाने के लिए स्कूल में दाखिल करवाती हैं और उनकी पढ़ाई का खर्चा उनकी एनजीओ उठाती है, क्योंकि यह प्रोजेक्ट केंद्र का है। ऐसे में उनको सरकार की ओर से गेहूं व चावल आता है और एक बच्चे पर छह रुपये खर्च आता है। ऐसे में वह संस्था के जरिए इन सौ बच्चों का पूरा खर्च उठाती हैं। बच्चों को पांचवीं तक की शिक्षा दिलाने के बाद वह सरकारी स्कूल में दाखिला करवाती हैं। ससुरालियों ने निकाला तो फिर उजड़े घरों को बसाया

समाज सेविका कंचन ने कहा, आज भी महिलाओं, युवतियों को शादी के बाद घरेलू हिसा का शिकार होना पड़ता है। युवाओं में मौलिक संस्कारों की भी कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में महिलाओं की हर तरफ से सुरक्षा करने के लिए वुमेन वेलफेयर एसोसिएशन बनाई गई। इसके तहत वह उन महिलाओं को इंसाफ दिलाती है, जिनको सुसराली मारपीट कर घर से निकाल देते हैं। उन लड़कियों को जिनका न सुसराल पक्ष सहयोग देता है न मायका। ऐसी महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस के सहयोग से मदद की जा रही है। इस तरह अनेक महिलाओं के उजडे़ घर बसाए गए हैं। बुजुर्ग मां-बाप को बेटों के पास दिला रहीं आसरा

इतना ही नहीं, जो मां-बाप अपनी लड़कियों को बोझ समझते हैं और उनको उनके परिवार में पूरा अधिकार दिला रही हैं। वहीं उन युवाओं को जेल भिजवाया, जो अपने बुजुर्ग मां-बाप को बोझ समझते थे और या उन बेटों को जो मां को खंडहर जैसे घर में अकेला छोड़ देते हैं, उन बुजु्र्गो को पुलिस के सहयोग से उनका हक दिलाया और बुजुर्गो की सेवा करने के लिए बेटों को समझाकर अपने साथ रखने के लिए भेजा। वुमेन हरासमेंट कमेटी की बनी हैं सदस्य

कंचन का कहना है कि हमारे समाज में झूठे दिखावे की होड़ में कई लोग अपने परिवार के सदस्यों को महत्व ही नहीं देते हैं और बाहरी रिश्तों में दिखावा कर प्यार व सहयोग की उम्मीद करते हैं, जबकि यह सब कुछ परिवार से ही मिलता है। समाज के प्रति कंचन के समर्पित भावना को देखते हुए केंद्र सरकार ने पोस्ट ऑफिस टेलीग्राफ की ओर से वुमेन हरासमेंट कमेटी का सदस्य बनाया है। कंचन शर्मा हमेशा विधवा या तालाकशुदा महिलाओं को स्वरोजगार दिलाने के लिए मनरेगा या अन्य रोजगार दिलवाती है ताकि कोई भी महिला अपना खर्च खुद उठाने में सक्षम हो सके।


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