टांडा दुष्कर्म मामले पर गर्माई राजनीति, भाजपा ने किसानों के मामले पर भी साधा निशाना
भाजपा जिला प्रधान गौरव खुल्लर का कहना है कि पंजाब में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। टांडा की घटना इसका उदाहरण है। कैप्टन सरकार इस ओर ध्यान नही दे रही है। वह हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है।
जगराओं (लुधियाना), जेएनएन। होशियारपुर के टांडा में छह वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म व उसके बाद जलाकर उसे मारने के मामले में राजनीति गर्मा गई है। भाजपा का कहना है कि पंजाब में कानून व्यवस्था बिल्कुल चौपट हो चुकी है। भाजपा जिला प्रधान गौरव खुल्लर ने कहा कि इस मामले में सरकार ने कतई सर्तकता नहीं बरती। खुल्लर का कहना है कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। कैप्टन सरकार इस ओर ध्यान नही दे रही है। उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है।
भाजपा जिला प्रधान गौरव खुल्लर का कहना है कि पंजाब में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। टांडा की घटना इसका उदाहरण है। कैप्टन सरकार इस ओर ध्यान नही दे रही है। वह हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है।
खुल्लर ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था चौपट हो गई है। रेलवे ट्रैक पर कुछ लोग बैठे हैं जिसके कारण मालगाड़ियों की आवाजाई बिल्कुल बंद है। इससे पंजाब के लोग व उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। इसके लिए पंजाब सरकार उलटा केंद्र सरकार को दोष दे रही है।
उनका कहना है अगर राज्य सरकार रेलवे ट्रैक की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती है तो ट्रेनों की आवाजाही कैसे शुरू की जा सकती है। खुल्लर ने कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों के हित में हैं और पंजाब सरकार किसानों को बरगला कर इनका विरोध करवा रही है। मोदी सरकार तो किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। दूसरी ओर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस काम में रोड़ा अट़का़ रहे हैं।
कांग्रेस किसानों को केवल वोट बैंक मानती है
उन्होंने कहा कि नय कानून किसानों को उनकी फसल की सही कीमत दिलाएंगे। कांग्रेस कतई नहीं चाहती कि किसान मजबूत हो, कांग्रेस किसानों को केवल वोट बैंक मानती है और उन्हें गुमराह कर रही है। खुल्लर ने अकाली दल पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो सुखबीर बादल व हरसिमरत कौर बादल लोकसभा में कृषि सुधार कानूनों को किसानों के हित में बता रहे थे, वही आज इनके खिलाफ बोल रहे हैं। बादल परिवार भी अपनी राजनीति के लिए किसानों को बरगलाने में जुट गया है। प्रगतिशील किसान समझते है कि कृषि सुधार कानूनों से उनका फायदा होगा।