पुरानी किताबें जमा करवाएं और जरूरतमंद बच्चों तक ज्ञान फैलाएं, फेसबुक, वॉट्सएप पर मुहिम शुरू
जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए जगराओं का बुक बैंक और लुधियाना का एनजीओ मदद कर रहा है।
जगराओं, [बिंदु उप्पल]। आज शिक्षा बहुत महंगी हो गई है। इस कारण कई बच्चे अच्छे स्कूलों में नहीं पढ़ पाते और कई किताबें मंहगी होने के कारण ले नहीं पाते। ऐसे जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए जगराओं का बुक बैंक और लुधियाना का एनजीओ मदद कर रहा है। स्कूली बच्चे जैसे-जैसे एक कक्षा पास कर दूसरी कक्षा में जाते हैं तो वे पुरानी किताबों को या तो बेच देते हैं या रख लेते हैं। ऐसे बच्चों को अपनी किताबें गरीब बच्चों की मदद के लिए दान देने के लिए जगराओं का बुक बैंक और लुधियाना का हेल्पिंग हैंड्स क्लब जागरूक कर रहा हैं।
पुरानी किताबें दान करने के लिए करेंगे प्रेरित
किताबें किसी जरूरतमंद को देने से एक तो उसकी जरूरत पूरी हो जाएगी, दूसरा आपको शिक्षा के दान का उचित फल मिलेगा। यह कहना है बुक बैंक जगराओं के प्रधान लायंस हिम्मत वर्मा का। दैनिक जागरण से बातचीत में हिम्मत वर्मा ने बताया कि बुक बैंक में वह पहली से बारहवीं कक्षा तक की किताबें रखते हैं, ताकि जब भी किसी जरूरतमंद बच्चे को सिलेबस के मुताबिक किताब इश्यू करवाई जा सके। इतना ही इस वर्ष वे इस प्रोजेक्ट पर एक मुहिम शुरू करेंगे। वे बच्चों को अपनी पुरानी किताबें दान करने के लिए प्रेरित करेंगे। इन्हें बुक बैंक जगराओं में जमा किया जाएगा ताकि जरूरतमंद बच्चे को फिर वह किताबें दी जा सकें। इसके लिए यह संस्था अपने सदस्यों के साथ मिलकर इस मुहिम को बढ़ावा देंगी। वे सोशल मीडिया पर भी इसका प्रचार करेंगे।
वहीं लुधियाना की एक अन्य संस्था हेल्पिंग हैंड्स क्लब (एनजीओ) की इसी तरह कार्य करे रहा है। क्लब के प्रधान रमन गोयल भी पिछले तीन वर्षों से बुक बैंक चला रहे हैं। अगर किसी बच्चे के पास फालतू और पुरानी किताबें होती हैं तो वो इस बुक बैंक में जमा हो जाती हैं। ये किताबें हेल्पिंग हैंड्स क्लब (एनजीओ) के फ्री शिक्षा केंद्र में जमा होती हैं ताकि ये किताबें किसी के इस्तेमाल में आ सकें। समाजसेवक रमन गोयल ने सोशल मीडिया फेसबुक व वॉट्सएप ग्रुप पर अपील की है कि वे अपने बच्चों की किताबें चाहे किसी भी कक्षा व स्कूल की हों, रदी में न बेचकर किसी जरूरतमंद के लिए उनके बुक बैंक में दान करें।
वर्ष 2018 में एनजीओ ने 33,000 किताबें फ्री बांटीं
प्रधान रमन गोयल ने बताया कि एनजीओ के फ्री बुक बैंक के प्रयत्नों से पिछले तीन सालों से जरूरतमंद बच्चों को 17,000 और वर्ष 2018 में करीब 33,000 किताबें मुफ्त बांटी गईं जिनकी कुल कीमत 85 से 90 लाख रुपये बनती है। उन्होंने बताया कि संस्था की ओर से हर वर्ष नए सेशन की शुरुआत से पहले वे इस मुहिम को बढ़ावा देते हैं।
किताबें देने का अभियान बेहद सराहनीय: प्रो. कर्म सिंह
शिक्षाविद प्रोफेसर कर्म सिंह संधू का कहना है कि आज शिक्षा बहुत महंगी हो चुकी है। हर माता-पिता के लिए अपने बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो गया है। विभिन्न संस्थाओं द्वारा बच्चों को किताबें देने के लिए शुरू किए बुक बैंक सराहनीय प्रयास है। उनके प्रयासों से न केवल बच्चा शिक्षित होगा बल्कि माता-पिता पर पढ़ाई के खर्च का बोझ भी कम होगा।