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जागरण संस्कारशाला: अधिकारों को समझें और जिम्मेदारी निभाएं

सामाजिक एकता और समरसता किसी भी समाज और देश की ख्वाहिश होती है किसी भी समाज को आगे बढ़ने के लिए विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक सबंध मजबूत होना जरूरी होता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 07:30 AM (IST)
जागरण संस्कारशाला: अधिकारों को समझें और जिम्मेदारी निभाएं
जागरण संस्कारशाला: अधिकारों को समझें और जिम्मेदारी निभाएं

जागरण संवाददाता, लुधियाना : सामाजिक एकता और समरसता किसी भी समाज और देश की ख्वाहिश होती है, किसी भी समाज को आगे बढ़ने के लिए विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक सबंध मजबूत होना जरूरी होता है। हमारा संविधान हमें एकता की सीख देता है जो हमें हमारे अधिकारों और जिम्मेदारियों से रहना सिखाता है, फिर वह किसी भी धर्म-जाति या वर्ग से हो तो हमारा संविधान हमें धर्म निरपेक्षता सिखाता है, अगर हम एक दूसरे के धर्म, संस्कृति, त्योहार आदि को समझने की कोशिश करेंगे तो दूरियां कम होगी और हम सामाजिक एकता और समरसता स्थापित कर पाएंगे। इसलिए संविधान सर्वोपरि संस्था है जो सामाजिक समरसता सिखाता है। दूसरा तत्व जो सामाजिक एकता एवं समरसता बनाए रखता है, वह है हमारी संस्कृति और सभ्यता, हमारी संस्कृति और सभ्यता भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार हुई है। उदाहरण के तौर पर अगर हम हिमाचल प्रदेश लेह, लद्दाख की बात करें तो वह टोपी पहनते हैं जो उन्हें उस वातावरण के लिहाज से अनुकूलित करता है। इसलिए हमें एक दूसरे की संस्कृति को समझने की जरूरत है और यह सामाजिक समरसता बनाए रखता है, हम एक दूसरे की संस्कृति की तारीफ करें ना कि उसकी आलोचना, अगला तत्व है, आ‌र्ट्स, आ‌र्ट्स एक अभिव्यक्ति है जिसका कोई धर्म नहीं है और यह सामाजिक एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देता है, यहां तक कि आ‌र्ट्स देशों को जोड़ने का भी काम करता है। अगला तत्व है मीडिया, यह आजकल के समय में मेरे ²ष्टिकोण से सबसे प्रभावशाली माध्यम है, जो सामाजिक एकता एवं समरसता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसके अलावा सामाजिक रूप जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और व्हाट्सएप आदि सामाजिक समरसता को बनाने में काफी हद तक प्रभावी हैं, लेकिन इनका दुरुपयोग समाज में दूरियां और खाईयां भी बना सकता है। इसलिए विश्व शांति और सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए इनका उपयोग बुद्धिमता से हो और एक तटस्थ किरदार निभाए।

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अगला मत्वपूर्ण अंग है शिक्षा। एक सुंदर समाज, समाजिक, एकता, अखंडता और समरसता के लिए हर व्यक्ति का शिक्षित होना जरूरी है। एक शिक्षित नागरिक के सोचने समझने से समाज में दूरियां मिट जाती है, फिर वह व्यक्ति किसी भी वर्ग जाति धर्म से हो, वह सामाजिक एकीकरण में महत्वपूर्ण किरदार निभाता है। हम अपने अधिकारों को समझें और अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं, लीपापोती से बचें, हर नागरिक का सामाजिक एकता और समरसता बनाने में भागीदारी हो।

- रमेश सिंह, वाइस प्रिसिपल, श्री ओम प्रकाश गुप्ता एसडीपी माडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल


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